बुधवार को भारत द्वारा एंटी सैटेलाइट मिसाइल के सफल परीक्षण ( मिशन शक्ति) को लेकर दुनिया में चर्चा है। अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत भी अंतरिक्ष में युद्धक क्षमता वाला देश बन चुका है। इस बेहद ही पेचीदा ऑपरेशन को अंजाम देने में डीआरडीओ का अहम हाथ रहा है। देश के वैज्ञानिकों को इस मिशन को अंजाम देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल का भी पूरा साथ मिला। डीआरडीओ के चेयरमैन जीएस रेड्डी ने एएनआई को बताया कि ‘मिशन शक्ति’ का खाका कुछ साल पहले ही तैयार हो गया था और पिछले 6 महीने से इसका काम मिशन मोड पर चल रहा था।

रेड्डी ने बताया, “NSA (आजीत डोभाल) को हम रणनीतिक रिपोर्ट देते हैं, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को संज्ञान में लेते हुए हमें टेस्ट करने का निर्देश दिया। जिसके बाद प्रक्रिया अमल में लाई गई और यह टेस्ट (मिशन शक्ति) कामयाब हुआ।” रेड्डी ने कहा, “कुछ साल पहले ही (एंटी सैटेलाइट मिसाइल) टेस्ट का खाका तैयार होना शुरू हो चुका था और पिछले 6 महीने से हम लोग मिशन मोड में काम कर रहे थे।” उन्होंने बताया कि इसके लिए 100 वैज्ञानिकों का एक समूह दिन रात काम कर रहा था।

ऐंटी सैटेलाइट मिसाइल की खास बातें

भारतीय एंटी सैटेलाइट मिसाइल (A-SAT) की खास बात यह है कि यह पूरी तरह से भारतीय तकनीक और हमारे वैज्ञानिक के द्वारा तैयार की गई है। कुछ रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई कि A-SAT पृथ्वी बैलिस्टिक मिसाइल परिवार का हिस्सा है। लेकिन, डीआरडीओ के चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने इस बात को खरिज कर दिया। रेड्डी के मुताबिक A-SAT को तकनीकी रूप से बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस एप्लीकेशंस के लिए तैयार किया गया है। इसके लिए मिसाइल में एक खास रॉकेट मोटर तैयार किया गया है। इसके अलावा दूसरी तकनीकों को मिलाकर नया A-SAT तैयार की गया है।

सबसे खास बात यह है कि A-SAT मिसाइल में ‘Low-Earth Orbit’ की सभी चीजों को निशाना बनाने की क्षमता है। यह 1000 किलोमीटर से भी दूर स्थित टारगेट को मार गिरा सकती है। इस मिसाइल की क्षमता की वजह से अब कोई भी देश अंतरिक्ष से भारत की जासूसी नहीं कर सकता। अगर अंतरिक्ष के जरिए देश-विरोधी कोई हरकत होती है, तो अब भारत A-SAT की मदद से दुश्मन देश के सैटेलाइट या मिसाइल को तुरंत ध्वस्त कर देगा।