‘किराए के मकान में रहता हूं। देशबंदी के कारण मेरा सिलाई का काम बंद है। घर में चार बच्चे हैं, पत्नी है और मां है। हमारी हालत तो पहले ही इतनी खराब थी कि दो बेटियों को स्कूल नहीं भेज पाया। ऐसे में घर का किराया देना मेरी बड़ी मुश्किल थी, लेकिन शुक्र है कि इस बार मकान मालिक किराया नहीं लेगा।’ उत्तर प्रदेश के कासगंज निवासी विनाेद बताते हैं कि बहुत तनाव में था। लेकिन अब मकान मालिक का किरायामाफी का एक फोन मुझे सुकून दे रहा है। और राहत के नाम पर कुछ राशन भी मेरे पास भेजा गया है।
कोरोना संक्रमण के इस दौर में दिल को सुकून दे सकने वाली किराया माफ करने की एक छोटी लेकिन सकारात्मक पहल ने सबका ध्यान खींच डाला। किरायेदारों के लिए राहत बनकर और मकान मालिकों के लिए आदर्श बंद कर आई इस खबर पर एंबुलेंस के पेशेवर चालक अमित सिंह ने कहा-चंद अच्छे लोगों ने ही तो समाज बदला है सर। जब से सूना हूं खुश हूं।
सोच रहा हूं मेरे मकान मालिक भी ऐसा करते। हालांकि अमित उन लोगों में से नहीं हंै जिनके मकान मालिकों ने इस महीने का किराए माफ कर दिया। लेकिन 50 से ज्यादा किरायेदार परिवार इस पहल के साक्षी और राहत के हिस्सेदार बने हैं। इनमें वो दिहाड़ी कामगार, मेहनतकश महिलाएं, प्रवासी मजदूर ज्यादा हैं जो बीते दिनों पलायन के पैदल मार्च को लेकर सुर्खियां में थे।
बहरहाल कोरोना त्रासदी की मार में पैदल पलायन करने वालों में एक कमल का परिवार भी था। अफवाह पर चल पड़ा था लेकिन पैतृक घर न जा सका था। कामबंदी की मार और कोरोना त्रासदी की पीड़ा में डूबे अमित के पास शुक्रवार शाम मकान मालिक की ओर से किरायामाफी के फोन ने उनकी मुस्कान लौटा दी। खोड़ा स्थित अनिल विहार के सोम बाजार में किराए के मकान में दो बच्चों के साथ रह रहे कमल मुरादाबाद के निवासी हैं। वे नोएडा स्थित वीवी गिरी नेशनल लेबर इंस्टिट्यूट में कच्चे में बतौर तकनीशियन कार्यरत हैं।
कमल ने कहा-मैं किराया देने के तनाव में था। तभी उनके मकान मालिक बृजपाल चौधरी का फोन आएगा और उन्हें बताया गया कि इस महीने का किराया मत देना। नोएडा सेक्टर 63 स्थित एक्सपोर्ट हाउस में कपड़े की कतरन संभालने में काम करने वाले कुलदीप अपने चार बच्चों के साथ खोड़ा में रहते हैं। उनके मकान मालिक ने भी इस महीने का किराया माफ कर दिया। कुलदीप बताते हैं कि मकान मालिक का साथ नहीं मिलता तो शायद वे 15 अप्रैल के बाद घर छोड़कर भाग जाते।

