देश में मानव व हाथियों के बीच के संघर्ष को कम करने के लिए हाथियों के रास्तों को पर्यावरण मंत्रालय और आसान बनाएगा। पहले चरण में इस कार्य के लिए देश का करीब 800 किलोमीटर लंबा गलियारा तैयार किया जाएगा। ये गलियारे अक्सर हाथियों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं लेकिन इनकी तकनीकी खामियों की वजह से हाथियों के झुंड आबादी वाले क्षेत्रों में घुस जाते हैं जो हाथी और मानव के बीच संघर्ष की वजह बनता है।

पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक चिह्नित किए गए इस आठ सौ किलोमीटर लंबे मार्ग को पर्यावरण मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय मिलकर तैयार करेंगे। परियोजना का मुख्य उद्देश्य हाथियों को एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए एक सुरक्षित मार्ग देना है और इस कार्य के लिए रेल मंत्रालय के साथ कई दौर की बैठक हो गई है। इन जगहों पर दोनों मंत्रालयों को मिलकर केवल छोटे छोटे काम अंजाम देना है।

इसमें जहां पर रेलवे पटरी अधिक ऊंचा है, वहां एक सामान्य मार्ग तैयार करके उसे दूसरे तरफ से हिस्से से जोड़ना है और जहां पर रेल पटरी के नीचे से जाने की जगह है। यह काम करीब आठ सौ किलोमीटर मार्ग पर होगा। अगले साल मार्च में गज परियोजना के तहत मनाए जाने वाले गज उत्सव से इस कार्य को जोड़ा जा रहा है। इस परियोजना के देश में अगले वर्ष तीस साल पूर्ण होने जा रहे हैं।

मंत्रालय के मुताबिक हाथियों के लिए अब तक करीब 1800 किलोमीटर का मार्ग चिह्नित है। इस मार्ग में खामियां होने की वजह से ही हाथी भटक कर आबादी वाले इलाकों में जा रहे हैं। इसकी दो वजह माना जा रहा है, जिसमें हाथियों का भोजन और इलाकों में पानी की कमी होना। इस स्थिति को ध्यान में रखकर भी इस परियोजना के तहत ही देश के जल स्रोतों को पुर्नजीवित करने की दिशा में पहल की जाएगी।

मंत्रालय इसीलिए हाथियों के लिए बने गलियारे की फिर से जांच करेगा ताकि यहां की खामियों को दूर किया जा सके। नई पहल से इन हादसों में भी कमी लाने में मदद हासिल होगी। देश भर में करीब 2600 के करीब चिह्नित हाथी हैं। इन हाथियों की गणना के लिए मंत्रालय ने एक गज सूचना ऐप तैयार किया है, जहां पर अब तक पायलट प्रोजेक्ट में हाथियों का पंजीयन किया गया है।

सरकार जल्द ही देश के सभी हाथियों की सूचना इस एप्लीकेशन के माध्यम से जुटाएगी। इसकी मदद से भविष्य में अवैध तरीके से हाथी रखने के मामलों को भी कम किया जा सकेगा। इनकी पहचान के लिए हाथियों के डीएनए को आधार बनाया जाएगा। इस वित्त वर्ष के अंदर ही इस परियोजना को पूर्ण करने का लक्ष्य है।