मोदी सरकार केंद्र सरकार के उन अधिकारियों की छुट्टी कर सकती है जो अपनी जिम्मेदारियों का सही से निर्वहन नहीं करते। सरकार ऐसे अधिकारियों का पता लगा रही है और उनके ट्रैक रिकॉर्ड की डिटेल्स मांग रही है। प्रशिक्षण और कार्मिक विभाग (डीओपीटी) ने सरकार के सभी विभागों को एक आदेश जारी कर उन अधिकारियों की मासिक रिपोर्ट देने के लिए कहा है जिनकी सेवा समाप्त हो चुकी है और वे अधिकारी जिनके प्रदर्शन की समीक्षा की जा रही है। डीओपीटी ने एक जुलाई से इस आदेश का लागू कर हर महीने की 15 तारीख को इसकी रिपोर्ट जमा करने को कहा है।

एक सीनियर अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त हिंदुस्तान टाइम्स को यह जानकारी दी। डीओपीटी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को रिपोर्ट करता है और सभी केंद्र सरकार के कर्मियों के साथ समन्वय करता है विशेषकर भर्ती, प्रशिक्षण, करियर विकास और सेवानिवृत्ति जैसे मुद्दों पर।

अधिकारी ने बताया कि ‘सरकार ऐसे अधिकारियों को सेवा से बहाल कर सकती है जो सही से काम नहीं करते खासतौर पर वे अधिकारी जिनका ट्रैक रिकॉर्ड सही नहीं है। सरकार पर अधिकार है कि वह जनहित में ऐसे अधिकारियों को जबरन रिटायर कर सकती है। सरकार के रोजगार नियम किसी भी सरकारी अधिकारी को ‘प्रर्दशन की समीक्षा’ और ‘सेवा में बनाए रखने और जनहित में जबरन रिटायर करने का अधिकारी देते हैं।’

मालूम हो कि सरकार ने पिछले महीने ही आयकर विभाग के 27 सीनियर अधिकारियों की जबरन रिटायर कर दिया था। इनमें से कई अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें और करप्शन के पेंडिंग केस थे। इनमें से एक अधिकारी ऐसा भी था जिसपर सीबीआई जांच चल रही थी। इनके घर पर छापेमारी में 2.47 करोड़ रुपए की ज्वैलरी, 16.44 करोड़ रुपए कैश, 10 लाख तक की कीमत वाल महंगी घड़ियां और बैंक खातों में 1.30 करोड़ रुपए जमा राशि मिली थी। एक अन्य अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा ‘सरकार ने 1969 में जनहित में ‘जबरन रिटायरमेंट’ को जनहित में पहली बार अधिसूचित किया था। हालांकि ये बात अलग है कि पहले की सरकारों में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया।