राज्यसभा में अभी 45 विधेयक लंबित हैं और उनमें से कुछ तो करीब 30 साल पहले ही सदन में पेश किए गए थे, वहीं लोकसभा में मई में समाप्त सत्र तक पांच विधेयक ऐसे थे जिनका निपटारा किया जाना है। राज्यसभा में लंबित विधयेकों में संविधान (122वां संशोधन) विधेयक भी शामिल है। इस विवादित विधेयक को जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर विधेयक भी कहा जाता है। लोकसभा से पारित होने के बाद इस विधेयक को पिछले साल अगस्त में उच्च सदन में पेश किया गया था।
एक अन्य प्रमुख विधेयक सूचना प्रदाता सुरक्षा (संशोधन) विधेयक, 2015 भी सदन में लंबित है। यह विधेयक पिछले साल दिसंबर में पेश किया गया था और इस पर चर्चा अभी पूरी नहीं हुयी है। इस साल के दोनों सत्रों में इस विधेयक पर आगे चर्चा नहीं हो सकी। लोकसभा में लंबित महत्वपूर्ण विधेयकों में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2015 और बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन विधेयक, 2015 शामिल हैं।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कल संकेत दिया था कि संसद के अगले सत्र में जीएसटी विधेयक की दिशा में प्रगति हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने भरोसा जताया था कि विधेयकों का समर्थन करने वाले दलों की शक्ति राज्यसभा में बढ़ने से ‘विधायी कार्यो’ में तेजी आयेगी और कार्यवाही में व्यवधान पैदा नहीं होगा।
उनसे राज्यसभा के लिए हाल में हुए चुनाव के परिणाम में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या में कमी आने और जीएसटी विधेयक की संभावना के बारे में पूछा गया था। मुख्य विपक्षी पार्टी जीएसटी विधेयक का विरोध कर रही है और कुछ संशोधनों की मांग कर रही है।
संसद के पिछले कुछ सत्रों में हंगामेदार स्थिति रही थी। लेकिन सरकारी कामकाज के लिहाज से पिछले सत्र के कामकाज में सुधार हुआ। हालांकि लंबित विधेयकों की समस्या राजग सरकार के दो साल तक ही सीमित नहीं है।