Maharashtra Assembly Election 2019: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव बेहद करीब है। 21 अक्टूबर को ईवीएम में पार्टियों की किस्मत और महाराष्ट्र पर अगले पांच साल राज करने वाले का नाम भी तय हो जाएगा। चुनावी मौसम में धुआंधार रैलियों के साथ ही पार्टियां कई सारे मुद्दे लेकर जनता से वादा करती नजर आ रही हैं। इस चुनावी आपाधापी में कई ऐसे बुनियादी मुद्दे हैं जिनका जिक्र ना के बराबर हुआ है। आइए डालते हैं एक नजर उन मुद्दों पर जो बुनियादी हैं जिनके बिना जीवन मुश्किल है। मसलन,  द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में  2019 के मानसून सीजन में बाढ़  के चलते लगभग 4 लाख करोड़ एकड़ की फसल बर्बाद हो गई। 23 अगस्त 2019 को द हिंदू में छपी एक खबर के मुताबिक बर्बाद होने वाली फसलों में गन्ना, कपास, चावल, सोयाबीन, अरहर की दाल, मूंगफली मुख्य थी।

यही नहीं बाढ़ के चलते डेयरी उत्पाद को भी तगड़ा झटका लगा है। कोल्हापुर, सांगली और सतारा जिलों में बाढ़ के कारण डेयरी क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गाय, बैल और भैंस सहित 7,847 मवेशी और 1,065 बकरियां, भेड़ और 160 बछड़े  व गधे या तो मारे गए या लापता हो गए। इसके अलावा महाबलेश्वर में अप्रैल 2019 में ओलावृष्टि और तेज हवाओं के चलते शहतूत की 60% फसल बर्बाद हो गई। इसी तरह अप्रैल और मई 2018 में राज्य भर में शहतूत की लगभग 6,835 हेक्टेयर फसल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित हुई थी।फिर भी चुनावी मुद्दों में इन दिक्कतों का कहीं जिक्र नहीं है।

बारिश के सहारे खेती: महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था की बात करें तो इस राज्य में औद्योग भले ही काफी ज्यादा हो लेकिन आय का स्रोत मुख्य रूप से कृषि है। महाराष्ट्र के 70% भौगोलिक क्षेत्र अर्ध-शुष्क (semi-arid ) क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। महाराष्ट्र आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के अनुसार राज्य  में 2011-12 के बाद से लगातार सूखा पड़ रहा है। साल 2013 में, राज्य ने 40 वर्षों में सबसे खराब सूखे में से एक देखा।

महाराष्ट्र आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में कहा गया है कि राज्य में सूखे की स्थिति के कारण फसल उत्पादन कम होने की उम्मीद है, जिससे वास्तविक सकल राज्य मूल्य में 8 प्रतिशत की गिरावट आई है।महाराष्ट्र में चुनावी वादों में रोजगार और अन्य  वादे जनता के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं लेकिन इन बुनियादी मुद्दों को हल किए बिना विकास और खुशहाली का लंबा रास्ता तय नहीं किया जा सकता है।