मणिपुर में जातीय संघर्ष में मारे गए कुकी समुदाय के 35 लोगों के शवों को गुरुवार को एक साथ दफनाने का कार्यक्रम था। पर इस बीच मणिपुर उच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई करते हुए प्रस्तावित शमशान स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। जहां कुकी-ज़ो समुदाय के सदस्यों को सामूहिक रूप से दफनाया जाना था। न्यायालय ने केंद्र, राज्य सरकार और पीड़ित पक्षों को मामले के सौहार्दपूर्ण समाधान करने के लिए प्रयास करने का निर्देश दिया।

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जारी हिंसा को गुरुवार को 3 महीने पूरे हो गए हैं।अब तक राज्य में 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।कई लोगों के शव इंफाल के अस्पतालों की शवगृह में रखे हैं। इनमें से आज ​​​​​​कुकी समुदाय के 35 लोगों के शवों को सामूहिक रूप से अंतिम संस्‍कार किया जाना था।

इस कार्यक्रम को लेकर पुलिस-प्रशासन भी अलर्ट था। हिंसा के बाद चुराचांदपुर जिले में माहौल आज भी संवेदनशील बना हुआ है। माहौल में शांति नहीं है। बड़ी संख्या में लोग पलायन कर गए हैं। कई इलाकों में घर सूने पड़े हैं। दरवाजों पर ताले लटके हैं।

बुधवार की रात एक अफवाह फैली कि कुछ कुकी लोगों के शव दफनाने के लिए बाहर ले जाए जा सकते हैं। इसके बाद इंफाल में रीजनल आयुर्विज्ञान संस्थान और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान दोनों अस्पतालों के पास भीड़ जमा हो गई। हालांकि, पुलिस भीड़ को शांत करने में कामयाब रही।

इंफाल के इन दोनों अस्पतालों के शवगृह में ही इंफाल घाटी में जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के कई शव रखे हुए हैं। किसी भी हिंसा को रोकने के लिए यहां असम राइफल्स, रैपिड एक्शन फोर्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गई हैं।

इम्फाल में अपुम्बा तेन्बांग लुप, पात्सोई विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं ने 26 दिन बाद 2 किशोरों का पता नहीं लगा पाने के विरोध में प्रदर्शन किया। 3 मई को हिंसा फैलने के बाद से राज्य में दो पत्रकारों और दो किशोरों समेत 27 लोग लापता हैं।

इस बीच, कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (कोकोमी) ने तोरबुंग में सामूहिक अंतिम संस्कार न करने की मांग की है। कोकोमी और मैतेई समुदाय की महिलाओं ने कहा है कि जिस जगह का जिक्र किया जा रहा है, वहां मैतेई आबादी है। हमलावरों ने हिंसा फैलने के बाद वहां से उन्हें भगा दिया था।

अब वहां कुकी समुदाय के लोगों के शव दफनाए जाने से मैतेई का अपमान होगा। यहां कुकी कब्रिस्तान नहीं बनने देंगे। अगर ऐसा होता है, तो इसकी प्रतिक्रिया खतरनाक होगी। विकल्प में मृतकों को चूराचांदपुर के कब्रिस्तानों में अथवा जिले के दूसरी जगहों पर भी दफनाया जा सकता है।