हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में भड़की हिंसा में मरने वालों की संख्या करीब दो दर्जन हो गई है। इतनी बड़ी संख्या में मौत के पीछे कहीं न कहीं पुलिस की लापरवाही भी है। पुलिस को हिंसा भड़कने का शक था। इससे निपटने के लिए पुलिस ने तैयारी भी की थी, लेकिन यह तैयारी केवल उन्हीं इलाकों के लिए थी जो लगातार अशांत रहते हैं। पुलिस के मुताबिक उसे शांत इलाकों में इतने बड़े पैमाने पर हिंसा भड़कने का अंदेशा नहीं था।

पुलिस के एक अधिकारी का का मानना है कि संभावित हिंसा से निपटने की पहले से रखी गई तैयारी के चलते अनंतनाग, त्राल और पुलवामा जैसे शहरों में मौतें नहीं हुईं। लेकिन राज्य सरकार अनंतनाग के सीर, कुलगाम के डीएच पुरा और पुलवाम के हाल जैसे इलाकों में हिंसा से निपटने के लिए पहले से तैयार नहीं थी। इसी वजह से यहां जानलेवा हिंसा हो गई।

डीएच पुरा में तो उपद्रवी लोगों ने रेंज ऑफिस, कोर्ट कॉम्प्लेक्स, फायरब्रिगेड की गाड़ी आगे के हवाले कर दी, उन्होंने पुलिस स्टेशन पर भी कब्जा कर लिया और उनके हथियार छीन कर फायरिंग करने लगे।