मुंबई: शिवसेना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से बेलगाम का नाम बदल कर बेलगावी करने के कर्नाटक सरकार के फैसले के खिलाफ रूख और अधिक कड़ा करने का आग्रह किया है ताकि मराठी भाषी लोगों के हितों की रक्षा हो सके।
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना में आज एक संपादकीय में कहा है ‘‘देवेन्द्र फडणवीस ने मराठी भाषी लोगों के हितों की रक्षा करने की शपथ ली है। अब यह उनका दायित्व है कि वे मराठी ‘मानुस’ के हितों की रिक्षा करें चाहे वह राज्य में रह रहा हो या राज्य से बाहर रह रहा हो। इसलिए उन्हें (फडणवीस को) कर्नाटक सरकार द्वारा किए गए फैसले के खिलाफ खड़े होना चाहिए और विरोध करना चाहिए।’’
पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा था कि कर्नाटक सरकार ने बेलगाम का नाम बेलगावी करने का फैसला कर मराठी भाषी लोगों की भावनाएं आहत की हैं।
ठाकरे ने कोल्हापुर में संवाददाताओं से कहा ‘‘उन्हें (कर्नाटक सरकार को) नाम बदलने की इतनी जल्दी क्यों है ? उन्हें विवादित भूभाग पर उच्चतम न्यायालय के अंतिम फैसले के लिए इंतजार करना चाहिए था । हम उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक (बेलगाम को) केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय में मराठी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों की नियुक्ति करना हमारा दायित्व है।’’
शिवसेना ने दावा किया कि क्षेत्र के मराठी भाषी लोगों ने इस मुद्दे को लेकर 60 साल तक संघर्ष किया है और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय की उम्मीद है।
संपादकीय में कहा गया है ‘‘बेलगाम के लोग पिछले 60 साल में कर्नाटक सरकार द्वारा की गई ज्यादतियों के खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं। वह चाहते हैं कि यह क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा हो। लोगों को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें न्याय मिलेगा लेकिन इसके बजाय उन्होंने :मोदी ने: नए नाम के लिए अपनी शुभकामनाएं दे दीं।’’
महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमाओं पर स्थित बेलगाम एक विवादास्पद क्षेत्र है जिस पर दोनों राज्य अपना दावा करते हैं।