आपके घर आने पर खुश होता है। आपके डांटने पर कोने में जाकर बैठ जाता है। अपनी अलग-अलग हरकतों से आपका डॉग आपको अपने मूड के बारे में बताता है। कई लोग होते हैं जो अपने डॉगी के भौंकने से भी उसकी बात समझ जाते हैं। लेकिन इसमें महिलाओं ने बाजी मारी है। एक नई स्टडी में सामने आया है कि पुरुषों के अपेक्षा महिलाएं अपने डॉगी की बात को ज्यादा समझती हैं क्योंकि उनका इमोशनल अटैचमैंट ज्यादा होता अधिक होता है। या यूं कह सकते हैं कि महिलाएं ज्यादा इमोशनल होती हैं इसलिए अपने पेट के इमोशन भी वह आसानी से समझ पाती हैं।
इस स्टडी में 40 लोगों ने हिस्सा लिया था। इन लोगों को 18 अलग-अलग कुत्तों के भौंकने की आवाजें सुनाई गई थीं। इनमें 63% लोगों ने आवाज से सही पता लगा लिया था। इन आवाजों में कुत्तों के अपना खाना बचाते वक्त की आवाज, किसी अंजान शख्स से खतरे के दौरान भौंकने की आवाज, खेलते वक्त भौंकने की आवाज। अब 81% लोग खाना बचाते वक्त भौंकने और खतरे के वक्त भौंकने की आवाज नहीं पहचान पाए।
लोरांद यूनिवर्सिटी, हंगरी के तमस फरेगो और उनकी टीम के अनुसार, खेलते समय सभी डॉग्स पास-पास थे और ज्यादा शोर कर रहे थे पर गुस्से में और जब खतरे डरे हुए में वो सब अलग- अलग थे। महिलाओं ने पुरषों से ज्यादा डॉग्स के खेलने और डरने में सही अंतर पहचाना। ‘द टेलीग्राफ’ की रिपोर्ट के अनुसार खाने की रक्षा करते हुए और खेलते हुए के भोंकने में अलग-अलग तरह की पिच होती है।
यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस जनरल में लिखा कि महिलाएं अपने इमोशनल बर्ताव के लिए जानी जाती हैं, शायद इस बर्ताव के कारण ही उन्होंने डर और खेलने के भोंकने में अंतर को पहचान लिया।
