Vande Mataram 150 years Celebration: राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 7 नवंबर 2025, शुक्रवार को दिल्ली में भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस गीत का इतिहास और कहानी बेहद रोचक है। यह कोई साधारण गीत नहीं है बल्कि ऐसा संकल्प है जिसने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संबंध रखने वाले इस गीत को आज 150 साल पूरे हो गए हैं। आज इसकी 150वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में साल भर चलने वाले समारोह की शुरुआत की। साथ ही देशभर में जगह-जगह संस्थान, सांस्कृतिक संगठन और शैक्षणिक केंद्र गाने के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को फिर से याद करने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इसकी रचना कब और कैसे हुई और कैसे ये स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गया, आइए जानें इसके बारे में।

किसने की थी वंदे मातरम की रचना?

प्रेस सूचना ब्यूरो (Press Information Bureau) के मुताबिक वंदे मातरम की रचना बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा की गई थी। ‘वंदे मातरम’ पहली बार साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में 7 नवंबर 1875 को प्रकाशित हुई थी । बाद में, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने इसे अपने अमर उपन्यास ‘आनंदमठ’ में शामिल किया, जो 1882 में प्रकाशित हुई ।

वंदे मातरम का रोचक इतिहास

रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे संगीतबद्ध किया था। यह देश की सभ्यतागत, राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना का अभिन्न अंग बन चुका है। “वंदे मातरम” गीत मार्च-अप्रैल 1881 के अंक में उपन्‍यास के धारावाहिक प्रकाशन की पहली किस्त में छपा था। 1907 में, मैडम भीकाजी कामा ने पहली बार भारत के बाहर स्टटगार्ट, बर्लिन में तिरंगा झंडा फहराया था। उस झंडे पर वंदे मातरम लिखा हुआ था। बंकिम ने अपने मशहूर गीतकी रचना 32 साल पहले की थी। उन्होंने कहा कि उस समय बहुत कम लोगों ने इसे सुना था। 1905 में कोलकाता में बंदे मातरम संप्रदाय की स्थापना हुई, जो मातृभूमि को पूजा के रूप में मानता था।

14 जनवरी 1950 का दिन बन गया बेहद खास

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा को संबोधित करते हुए वंदे मातरम का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस गीत ने स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसे ‘राष्ट्रगान जन गण मन’ के समान दर्जा दिया जाना चाहिए।