बोतलबंद पानी में प्लास्टिक की घुलनशीलता के कारण स्वास्थ्य को नुकसान होने का खुलासा करने वाली एक अमेरिकी अध्ययन रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुये सरकार ने भारत में इसके प्रभाव पर वैज्ञानिक अध्ययन के बाद बोतलबंद पानी को खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानकों के मुताबिक सुरक्षित बताया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने मंगलवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान भारत में बोतलबंद पानी के खतरे से जुड़े एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया, ‘‘न्यूयार्क से प्रकाशित एक अध्ययन की जानकारी मिलने के बाद पानी और अन्य पेय पदार्थों पर मानकों से जुड़ी एफएसएसएआई के पैनल ने इस विषय को संबद्ध क्षेत्र के वैज्ञानिकों के समक्ष उठाते हुये इसके पहलुओं की जांच की।’’

उन्होंने बताया कि इसमें पता चला है कि बोतलबंद पानी में प्लास्टिक की घुलनशीलता मानकों की सुरक्षित सीमा के दायरे में है। डा. हर्षवर्धन ने बताया कि भारत में निर्धारित मानकों के मुताबिक पानी में प्लास्टिक की घुलनशीलता का सुरक्षित स्तर 60 मिग्रा प्रति किग्रा है। बोतलबंद पानी में प्लास्टिक तत्वों की घुलनशीलता का मौजूदा स्तर 0.01 माइक्रॉन प्रति किग्रा पाया गया है जो सुरक्षित सीमा में है।

उन्होंने बताया कि इस दिशा में आगे भी शोध किया जा रहा है। विभिन्न देशों में बोतलबंद पानी को प्रतिबंधित करने की तर्ज पर भारत में भी इसे प्रतिबंधित करने के सवाल पर डा. हर्षवर्धन ने बताया कि पिछले साल पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारत में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने के संकल्प को 2022 तक स्वत:स्फूर्त तरीके से लागू करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है।

उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर बोतलबंद पानी को प्रतिबंधित करने से पहले यह जरूरी है कि हम अपने आचरण में बदलाव लाकर अपने संकल्प के पालन को सुनिश्चित करें, इसके बाद प्रतिबंध जैसी स्थिति की ओर आगे बढ़ेंगे। बाजार में प्लास्टिक के चावल की बिक्री से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में डा. हर्षवर्धन ने बताया कि एफएसएसएआई के संज्ञान में यह मामला आया है। एफएसएसएआई स्थिति पर लगातार निगरानी कर रहा है और इस दिशा में कारगर कदम उठाये जा रहे हैं।