21 सितंबर को हर साल वर्ल्ड अल्जाइमर डे के तौर पर मनाया जाता है। अल्जाइमर से पीड़ित इंसान में याददाश्त की कमी होना, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना आदि लक्षण पाये जाते हैं। रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सिर में चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। आज हम आपको बताते हैं कि घर में अक्सर इस्तेमाल होने वाली हल्दी कैसे अल्जाइमर के खतरे को कम कर सकती है।
आम तौर हम खाने में हल्दी का सेवन रोज करते हैं। कई लोग हल्दी को सिर्फ एक मसाला समझते हैं। लेकिन हल्दी सिर्फ एक मसाला ही नहीं बल्कि हमारे शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद भी है। हल्दी में मौजूद गुण ना सिर्फ हमारे वजन को कम करने में बल्कि अल्जाइमर का खतरा कम करने में भी काफी सहायक होते हैं। दरअसल हल्दी में करक्यूमिन पाया जाता है।
करक्यूमिन में ऑक्सीकरण रोधी गुण होते हैं। करक्यूमिन अल्जाइमर के खतरे को कम करने और हमारी याददाश्त को बढ़ाने में काफी फायदेमंद है। कई एक्सर्ट्स का मानना है कि हल्दी दिमाग में एक ऐसा प्रोटीन बनने से रोकता है जो याददाश्त को नुकसान पहुंचाता है। कई चिकित्सकों का मानना है कि हल्दी में इसके अलावा भी कई गुण होते हैं।
हल्दी को ब्लड प्यूरिफायर भी माना गया है। जानकारी के मुताबिक हल्दी शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को मजबूत करने में मदद करता है। मोटे उत्तकों को कम करने या फिर उन्हें हमारे शरीर से हटाने में भी हल्दी सहायक है। यह वजन कंट्रोल के लिए अहम है। इतना ही नहीं हल्दी के सेवन से डायबीटीज का खतरा भी कम हो जाता है। शरीर के जोड़ों में दर्द या अकड़न होने पर हल्दी के सेवन से काफी राहत मिलती है।
हल्दी का एक खास जूस हमारे शरीर के खून को साफ करने में काफी मददगार होता है। घरों में यह जूस बनाना भी काफी आसान होता है। घर में मौजूद हल्दी के टुकड़े या पाउडर में नींबू, नमक तथा पानी मिलाकर इस जूस को बनाया जा सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके सेवन से रक्त साफ होता है।