इस साल हम 72वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। इस दिन हर भारतीय उत्साह से भरा हुआ नजर आता है और पूरा देश देशभक्ति की भावना में सराबोर रहता है। यह दिन भारत का राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन सभी राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय सरकार के कार्यालय, बैंक, पोस्ट ऑफिस, बाजार, दुकानें, व्यापार, संस्थान आदि बंद रहते है। हालांकि, सार्वजनिक परिवहन बिल्कुल प्रभावित नहीं होता है। इसे बहुत उत्साह के साथ भारत की राजधानी दिल्ली में मनाया जाता है जबकि स्कूल, कॉलेज और सार्वजनिक समुदाय तथा समाज सहित दूसरे शिक्षण संस्थानों में भी मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1947 से पहले 26 जनवरी को भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रूप में घोषित किया गया था। आइए जानते हैं फिर 15 अगस्त को कैसे मनाया जाने लगा स्वतंत्रता दिवस।
दरअसल, 1930 से लेकर 1947 तक 26 जनवरी के दिन भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाात था। इसका फैसला साल 1929 में हुई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में हुआ था, जो लाहौर में हुई थी। इस अधिवेशन में भारत ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा भारतीय नागरिकों से निवेदन किया गया था साथ ही साथ भारत के पूर्ण स्वतंत्रता तक आदेशों का पालन समय से करने के लिए भी कहा गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1947 में ब्रिटिश सरकार आश्वस्त हो चुकी थी कि वो लंबे समय तक भारत को अपनी शक्ति नहीं दिखा सकती। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी लगातार लड़ रहे थे और तब अंग्रेजों ने भारत को मुक्त करने का फैसला किया। भारत की आजादी और विभाजन के समय लुईस माउंटबेटन देश के वायसराय और बाद में भारत के पहले गवर्नर जनरल बने थे। माउंटबेटन ही वो शख्स थे जिसने भारत को सत्ता-हस्तांतरण के लिए 15 अगस्त की तारीख चुनी थी।
वहीं लैरी कॉलिंग और डोमिनिक लैपियर ने अपनी किताब “फ्रीडम एट मिडनाइट” में माउंटबेटन द्वारा इस तारीख को चुनने की वजह बतायी है। किताब में माउंटबेटन कहते हैं, “ये दिन (15 अगस्त) मैंने यूं ही चुन लिया था। ये मैंने एक सवाल के जवाब के तौर पर चुना था। मैं दिखाना चाहता था कि सब कुछ मेरे काबू में है। जब मुझे पूछा गया कि क्या कोई तारीख तय की गई है, तो मुझे पता था कि ये जल्दी होना चाहिए। तब तक मैंने सब कुछ तय नहीं किया था लेकिन मुझे लगा कि ये अगस्त या सितंबर हो सकता है और फिर मैंने 15 अगस्त की तारीख तय कर दी। क्यों? क्योंकि ये जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी बरसी थी?” दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 15 अगस्त 1945 को जापान के राजा हिरोहितो ने आत्मसमर्पण कर दिया था। जापान के राजा ने इस दिन एक रेडियो पर जापान के आत्मसमर्पण की घोषणा की थी। जापान ने ब्रिटेन, अमेरिका और रूस इत्यादि देशों की एलाइज फोर्सेज के आगे आत्मसमर्पण किया था।