Swami Vivekananda Speech, Quotes: आज से लगभग 125 साल पहले स्वामी विवेकानंद ने 11 सितम्बर 1893 को शिकागो के सम्मलेन में अपने ऐतिहासिक और बेजोड़ भाषण से सभी को स्तब्ध कर दिया था। यह विश्व धर्म संसद सम्मेलन करीब 17 दिनों तक चला जिसमें सुदूरवर्ती देशों से आए धर्मानुयाइयों ने भाग लिया था। इसमें विवेकानंद ने पूरे विश्व को हिंदुत्व से परिचित कराया। उन्होंने सहिष्णुता, धर्म और धर्मान्धता के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार दुनिया के आगे रखे। उनके इस बेजोड़ भाषण के बाद दुनिया भर से आए लोगों ने पूर्ण उत्साह के साथ उनका स्वागत किया।
अमेरिकी बहनों और भाइयों, आपके इस सौहार्दपूर्ण स्वागत ने मेरे हृदय को ख़ुशी से भर दिया है। मैं आपको सबसे पौराणिक भिक्षुओं की ओर से धन्यवाद देता हूँ। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की ओर से धन्यवाद देता हूँ और मैं आपको सभी वर्गों और सम्प्रदायों के लाखों-करोड़ों हिन्दुओं की ओर से भी धन्यवाद देता हूँ। मेरा धन्यवाद पूरब से आये उन कुछ वक्ताओं को भी जिन्होंने इस मंच से आपको यह बताया कि सुदूर देशों से आये ये लोग अपने-अपने धरती के अनुसार सहिष्णुता के विचार को सम्मानपूर्वक धारण करने का दावा करते हैं। मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूँ जिसने विश्व को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया। हम ना सिर्फ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर विश्वास करते हैं लेकिन हमने सत्य के रूप में सभी धर्मों को स्वीकारा है। मुझे गर्व है कि मैं उस राष्ट्र से हूँ जिसने पृथ्वी पर सभी पीड़ितों और शरणार्थियों को शरण दी है। मुझे आपको यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने इस्राइलियों को उस समय शरण दी जब बहुत वर्षों तक रोमन अत्याचारों के कारण उनके मंदिर खंडित हो रहे थे और वह हमारे साथ रहने और शरण लेने दक्षिण भारत आए थे। मुझे उस धर्म से सम्बन्धित होने पर गर्व है जिसने उन्हें शरण देकर पारसी राष्ट्र को बढ़ावा दिया और अब भी दे रहा है।
भाइयों, मैं आपको एक भजन से कुछ पंक्तियाँ सुनना चाहता हूँ, जो मुझे याद हैं, जिन्हें मैंने अपने लड़कपन से दोहराया है और जो लाखों मनुष्यों द्वारा हर दिन दोहराईं जाती हैं:
“जिस प्रकार विभिन्न धाराओं के स्त्रोत अलग-अलग होते हैं, लेकिन अंत में उनका जल जाकर समुद्र में मिल जाता है,
उसी प्रकार सभी मनुष्यों द्वारा चुना गया उनका रास्ता, चाहे वह सही हो या गलत हो अंत में सब ईश्वर तक ही जाते हैं “
वर्तमान अधिवेशन अब तक कि सबसे संवर्धी विधानसभाओं में से एक है और यह अपने आप में गीता में उपदेशित एक अद्भुत सिद्धांत को सत्यापित करता है :
“जो मेरे पास आते हैं, चाहे वह जिस भी हाल में हों, मैं उन तक पहुँच जाता हूँ,
सभी लोग जिन रास्तों पर संघर्ष कर रहे हैं वह सभी रास्ते मुझ तक ही आते हैं। “
साम्प्रदायिकता, कट्टरता और इसके भयानक वंशज, धर्मान्धता लम्बे समय से इस खूबसूरत धरती को अधीन किए हुए हैं। उन्होंने पृथ्वी को हिंसा और मानव रक्त से सराबोर कर दिया है, सभ्यता को नष्ट कर पूरे राष्ट्र को निराशा की ओर धकेल दिया है। यदि यह भयानक राक्षस ना होते तो राष्ट्र अब की तुलना में और अधिक उन्नत होता। अब समय आ गया है कि प्रातः जो घंटी अधिवेशन के सम्मान में बजी थी वह, चाहे तलवार से या कलम से हुए सभी उत्पीड़न या एक ही लक्ष्य के लिए अपना रास्ता बनाने वाले व्यक्तियों के बीच सभी अपरिवर्तनीय भावनाओं, का अंत होना चाहिए |
