सर्दियों के मौसम में लोगों की आम शिकायत गला खराब होने की होती है। यह मौसम के बदलने से, वायरल इंफेक्शन, बैक्टिरियल इंफेक्शन और कुछ चोट की वजह से या कई अन्य दिक्कत की वजह से गले में परेशानी हो सकती है। ऐसे में गले में खराश, गले में दर्द होने लगता है और खाने-पीने में दिक्कत होती है। कई बार बुखार जैसा भी लगता है। गले की इन परेशानी से निजात पाने के लिए आप योग का सहारा भी ले सकते हैं। आज आपको सिंहासन के बारे में बता रहे हैं जिससे गले को राहत मिलेगी।

सिंहासन: इसे सिम्हासन और अग्रेंजी में लॉयन पोज भी कहते हैं। इस आसन को सिंहासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन के दौरान जीभ बाहर होती है और चेहरा दहाड़ते हुए शेर की छवि को दर्शाता है।

सिंहासन करने का तरीका: इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछा लें। चटाई पर पैरों के पंजों को आपस में मिलाकर बैठ जाएं। अब दोनों एड़ियों को अपोजिट थाई पर लगाकर पाल्थी मारें। इस दौरान तलवे ऊपर की ओर रहेंगे। अब पिंडली की हड्डी का आगे के भाग जमीन पर टिकाएं। दोनों हाथों को जमीन पर रखें। मुंह खुला रखें और जितना हो सके जीभ को बाहर निकालें। इस दौरान आंखें बंद नहीं होनी चाहिए। नाक से सांस लेते रहें। अब सांस छोड़ते हुए गले से आवाज निकालें। अब आप पूरी तरह सिंहासन के पोज में हैं। इस आसन का 10 से 15 बार अभ्यास कर सकते हैं।

सिंहासन के फायदे

– सिंहासन के नियमित अभ्यास से गले की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। गले के संक्रमण को दूर किया जा सकता है।
– आवाज को साफ और मधुर बनाने के लिए यह आसन काफी कारगर होता है। अगर कोई हकलाकर बोलता है तो उसे सिंहासन करना चाहिए।
– जो लोग थायरॉयड की समस्या से परेशान हैं उनके लिए सिंहासन काफी फायदेमंद होता है।
– गले के अलावा नाक, कान और मुंह की बीमारियों को दूर करने के लिए यह आसन काफी लाभदायक होता है।
– इसके नियमित अभ्यास से दांत, जीभ, जबड़ा और गले के रोगों से मुक्ति मिलती है।
– यह आसन रक्तक संचार को सुधारता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन और चेहरे में रक्त का संचार सही ढंग से होता है।