क्या आपके बच्चे कम सोते हैं या सोने में परेशान कर देते हैं? अगर ऐसा है तो बता दें कि इसका कारण उनका अकेलापन हो सकता है। एक रिसर्च में पाया गया है कि इसका कारण उनकी परेशानी या अकेलापन हो सकता है। रिसर्चस के अनुसार जो लोग अकेले रहते हैं वो चिड़चिड़े हो जाते हैं। उन्हें कम नींद आने और डिप्रेशन जैसी परेशानियां हो जाती हैं। रिसर्च में सामने आया है कि जो टीनएजर अकेलेपन की समस्या से गुजर रहे हैं उनमें से 24 परसेंट पूरे दिन थका महसूस करते हैं। उन्हें नींद नहीं आती, नींद आने में समय लगता है, कम समय ही सो पाते हैं या सोते-सोते उठ कर बैठ जाते हैं। साथ ही साथ दिन में भी नहीं सो पाते और बाकी काम में भी परेशान रहते हैं।

किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर लुईस अर्सेनॉल्ट कहते हैं कि ‘नींद ना आने और उसकी कमी के कई कारण हो सकते हैं, उनमे से अकेलापन एक वजह हो सकती। हमारी रिसर्च के अनुसार अगर सही समय पर थेरेपी की जाए तो नेगेटिव सोच को खत्म किया जा सकता है। एक रिसर्च यह भी सामने आया है कि 70 प्रतिशत बच्चे डिप्रेशन और कम नींद का शिकार अपने आसपास अलग-अलग तरह के क्राइम या हिंसा देखने की वजह से हो जाते हैं। या वो बच्चे जो खुद हिंसा के शिकार होते हैं। उनमें या शिकायत ज्यादा पाई जाती है। इन क्राइम्स में सेक्सुअल एब्यूज, चाइल्ड मॉलट्रीटमेंट, फॅमिली मेंबर्स या हम उम्र लोगों के साथ हुआ वायलेंस शामिल है।

साइकोलॉजिकल मेडिसिन जनरल में प्रकाशित लेख के अनुसार कम नींद आना अकेलेपन में इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति अपने आप को सुरक्षित नहीं समझता है, जिससे बायोलॉजिकल स्ट्रेस बढ़ता है और नींद की क्वालिटी में कमी आती है।

किंग्स कॉलेज लंदन के टिमोथी मैथ्यूज कहते हैं हमने अपनी रिसर्च में पाया है कि वायलेंस, अकेलापन और कम नींद आने के बीच गहरा रिश्ता है क्योंकि इसमें बच्चा जो अकेलेपन से गुज़र रहा है उसमे यह भावना आ जाती है कि वो सेफ नहीं है।