प्रशांत किशोर ने साल 2014 में बीजेपी के लिए चुनाव की रूपरेखा तैयार की थी। इसके बाद उन्होंने 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के लिए कैंपेन का नक्शा बनाया और इन चुनावों में उन्हें जीत भी हासिल हुई। प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए चुनाव की रणनीति बनाई थी, लेकिन एक चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी और एक में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
प्रशांत किशोर अभी मीडिया से रूबरू होते हैं, लेकिन साल 2014 के चुनाव के बाद लंबे समय तक वह मीडिया से बात नहीं करते थे। ‘ISB लीडरशिप समिट’ में प्रशांत किशोर से पूछा गया था, ‘आपको पत्रकारों से बात करने में इतना लंबा समय क्यों लग गया?’ इसके जवाब में प्रशांत किशोर कहते हैं, ‘मैं अपनी बातें तो पत्रकारों से करता था, लेकिन मुझे नहीं लगता था कि मैं इतना योग्य हो गया हूं कि किसी मुद्दे पर अपनी राय दी जाए।’
प्रशांत ने क्यों नहीं लिखी बुक? प्रशांत किशोर आगे कहते हैं, ‘मैं एक छोटा सा छात्र हूं। मुझे कभी ऐसा लगा ही नहीं कि बाहर आकर अपने विचार साझा करने चाहिए। मैं चीजों को सीख रहा था। मुझे लगा कि मेरे पास इतनी चीजें नहीं थीं। अगर आप वो सब लिखेंगे जो भी मैंने किया है वो एक तरह से मसाला की तरह काम करेगा। मैंने इसी वजह से बुक लिखने का भी आइडिया छोड़ दिया। ऐसी कई वजहें थीं कि मैं सामने आकर कुछ नहीं कहना चाहता था। लेकिन एक मुख्य वजह ये भी थी।’
नरेंद्र मोदी का आया था अचानक फोन: प्रशांत किशोर ने बताया था, ‘मार्च 2015 में मैंने बीजेपी छोड़ने का फैसला किया था और तब से पीएम मोदी से मेरी कोई बात नहीं हुई थी। फिर एक दिन मेरी मां की तबीयत बहुत खराब थी और वो अपने अंतिम दिनों में थीं तो पीएम मोदी का अचानक फोन आया। मैंने उनसे लंबी बातचीत की थी। उन्होंने मुझसे कई योजनाओं के बारे में पूछा। इनमें से एक उज्ज्वला योजना भी थी। लेकिन कोई ऐसी बात नहीं हुई कि वो मुझे वापस बीजेपी में बुलाना चाहते हों या कुछ और? बस साधारण बातचीत हुई।’
