किचन से लेकर हमारे स्वास्थ्य में तेल का अहम योगदान है। खाने-पीने से लेकर दवा तक में हम तेल का प्रयोग करते हैं। तेल आज उन जरूरी तत्वों में शामिल हो गया है, जिनके बगैर हमारा भोजन फीका सा लगता है। आमतौर पर बाजार में कई तरह के ब्रांड वाले खाद्य तेल उपलब्ध होते हैं, लेकिन आज मिलावटी तेलों का बाजार भी जोरों पर है जिनकी वजह से कई बीमारियां पनपती हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने तेल की इन्हीं खामियों को पकड़ने के लिए एक सस्ती और सरल घरेलू परीक्षण विधि तैयार की है।

मिलावटी तेल की शुरुआत कैसे हुई- बंगाल तेल का एक बड़े उपभोक्ता वाला राज्य है। साल 1998 में कोलकाता में स्थित बेहाला, बुरोशिबताला इलाके में एक दुकान ने टीओसीपी युक्त रेपसीड तेल बेचा, जो कि खाद्य तेल जैसा सस्ता रसायन था। लोगों ने उसे बड़े चाव से खरीदा। उन्हें नहीं पता था कि उसमें किसी तरह की मिलावट है। लेकीन उपभोक्ताओं ने जल्द ही अपने शरीर में इसके जहरीले प्रभावों को महसूस करना शुरू कर दिया। नतीजतन, वहां काफी लोग बीमार पड़ गए, साथ ही कईयों को पक्षाघात भी हुआ।

अभी हाल ही में बंगाल फिजिशियन जर्नल में प्रकाशित 2019 के लेख ‘फ्राइंग पैन में जहर’ का उल्लेख भी सामने आया है। इसमें कहा गया है, ‘पहले लक्षण उल्टी और दस्त के साथ फूड पॉइजनिंग जैसे शुरू हुए, लेकिन यह तेजी से बढ़ते हुए पक्षाघात में बदल गया.’

ट्राई-ऑर्थो-क्रेसिल फॉस्फेट (TOCP) क्या है?- ट्राई-ऑर्थो-क्रेसिल फॉस्फेट एक मिलावटी तत्व है जो खाद्य तेल के रंग के समान होता है। यह देखने पर आसानी से पकड़ में नहीं आता है। यह तेल में घुलनशील है और इसका स्वाद भी खाद्य तेल से ज्यादा अलग नहीं होता।

कैसे करें जांच, जब आपको लगे कि आपका तेल मिलावटी है- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने बकायदा इसके लिए एक सरल और सस्ती विधि साझा की है जिसे आप घर बैठे बड़ी आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने रसोई में उपलब्ध किसी भी खाद्य तेल को ले सकते हैं।

1.किसी कटोरी में दो मिलीलीटर खाद्य तेल लें और उसमें थोड़ा सा पीला मक्खन मिला दें।

2. अगर तेल में किसी तरह की मिलावट नहीं होगी तो उसका रंग नहीं बदलेगा। लेकिन अगर तेल मिलावटी है तो यह तुरंत रंग बदलता है और लाल हो जाता है।