भारत में मकर संक्रांति फसल कटने के बाद मनाया जाने वाला त्योहार है। इस भारत सहित नेपाल और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ लोग मनाते हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। जिसकी वजह से इसे सूर्य उत्तरायण भी कहा जाता है। इसी दिन से हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है।
मकर संक्रांति के दिन लोग पुरानी चीजों का त्याग करके नई वस्तुएं धारण करते हैं। वहीं दुश्मनी को खत्म करके एक नई शुरुआत करते हैँ। अपने पितृों के साथ ही भगवान के नाम पर दान दिया जाता है। पवित्र मेले जैसे कि प्रयाग का कुंभ मेला गंगा के किनारे पर होने वाला गंगासागर मेला में हिस्सा लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि संक्रांति के दिन अगर गंगा में डुबकी लगाई जाए तो सारे पाप दूर हो जाते हैं।
मकर संक्राति के दिन लोग स्नान आदि के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करते हैं, इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन लोग नए चावल से बनी खिचड़ी और तिल से बनी चीज जरूर खाते हैं। हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार मकर संक्रांति का त्योहार पहली माघ को मनाया जाता है। जो लोग माघ के बारें में नहीं जानते तो उन्हें बता दें कि हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार यह एक महीने का नाम होता है। मकर संक्रांति फसल से जुड़ा हुआ त्योहार है जिसे सर्दियां समाप्त होने के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य दक्षिणयान से मुड़कर उतर की ओर रूख करता है। ज्योतिष के अनुसार इस समय सूर्य उत्तारायण बनता है। मकर संक्रांति फसल से जुड़ा त्यौहार है और यह भारत के किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है।
इस साल मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त सुबर सात बजकर 38 मिनट से शुरू है और शाम 5 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। भविष्यपुराण के अनुसार इस दिन व्रत करना चाहिए। इस दिन पानी में तेल और तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए। वहीं व्रत के पहले दिन केवल एक बार भोजन करना चाहिए। जिसके बाद सूर्य देवता की आराधना की जाती है। इन दिन गंगा में स्नान करके यदि दान दिया जाए तो मोक्ष की प्राप्ती होती है।
