महाशिवरात्री हिंदुओ का महत्वपूर्ण उत्सव है। इसे ज्यादातर भगवान शिव को मानने वाले लोग हर्षो उल्लास के साथ मनाते हैं। इस मौके पर वो व्रत रखते हैं जिससे कि भोलेनाथ प्रसन्न होकर उन्हें उनकी इच्छानुसार फल दे सकें। यह त्योहार दुनियाभर में भगवान शिव और माता पार्वती की शादी की सालगिरह के तौर पर मनाया जाता है। यह त्योहार हमेशा फरवरी से मार्च महीने में पड़ता है। यह त्योहार अंधकार से उबरने के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। इसे  शिव का नाम लेते हुए व्रत, ध्यान, योग और शिव की खोज के लिए मनाया जाता है। भक्त पूरी रात जागते हैं और शिव मंदिर या ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं।

वैसे तो अमूमन सभी हिंदू त्योहार दिन में मनाए जाते हैं लेकिन शिवरात्री ऐसा त्योहार है जिसे रात में मनाया जाता है। इस सेलिब्रेशन में जागरण और पूरी रात प्रार्थना की जाती है। भगवान शिव को दूध, फल-फूल, भांग, धतूरा और मिठाई का भोग लगाया जाता है। कुछ भक्त पूरे दिन का उपवास रखते हैं तो कुछ तांत्रिक साधना भी करते हैं। पूरे शिव मंदिर में भक्त ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए दिखाई देते हैं। यह त्योहार 3 से 10 दिन मनाया जाता है लेकिन मुख्य दिन महाशिवरात्री का होता है।

शिवरात्री के व्रत से एक दिन पहले त्रयोदशी के दिन भक्त केवल एक समय खाना खाते हैं। शिवरात्री वाले दिन सुबह सभी धार्मिक संस्कार खत्म करने के बाद भक्त संकल्प लेते हैं कि वो पूरे दिन का व्रत रखेंगे और अगले दिन खाना खाएंगे। संकल्प के दौरान भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद लेते हैं ताकि उनका व्रत बिना किसी व्यवधान के पूरा हो सके। शिवरात्री के दिन भक्त शाम की पूजा से पहले स्नान करते हैं या मंदिर जाते हैं।

शिवरात्रि व्रत और पूजा करने की विधि:

शिवरात्री के समय भगवान शिव का पूजन करने के लिए साफ आसन पर ही बैठें। पूजा की सभी वस्तुओं को सही स्थान पर रखें। इसके बाद स्वस्ति पाठ करें। इसके बाद भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती को याद करते हुए संकल्प लेकर पूजा करें। पूजा के बाद हाथ में बेलपत्र और अक्षत (चावल) लेकर भगवान शिव का ध्यान करें। इसके बाद शिवलिंग को दही, घी, शहद और चीनी से स्नान कराएं। फिस सुगंध स्नान के लिए इत्र का प्रयोग करें। आखिर में शुद्ध स्नान (पानी) करें। अब शिवलिंग को साफ कपड़े से पोंछकर वस्त्र चढ़ाएं। फिर जनेऊ चढ़ाएं। इसके बाद इत्र, अक्षत, फूलमाला और बेलपत्र अर्पित करें। भगवान को अब साफ फल चढ़ाएं। इन सबके बाद आरती करें। आखिर में क्षमा याचना करते हुए भोलेनाथ से पूजा के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए माफी मांगे।

इस साल महाशिवरात्री 24 फरवरी को है। 24 तारीख को रात्री के पहले प्रहर की पूजा का समय शाम 6:13 से रात 9:23 बजे तक का है। रात्रि के दूसरे प्रहर की पूजा का समय 9:23 बजे से 00:33 बजे तक का है। रात्रि के तीसरे प्रहर की पूजा का समय 00:33 बजे से सुबह के 3:44 तक का है। रात्रि चौथे प्रहर की पूजा का समय सुबह 3:44 से 6:54 बजे तक का है। वहीं चतुर्दशी सुबह के 9:38 से शुरू होगी और रात को 9:20 पर खत्म हो जाएगी।