प्रेग्नेंसी रोकने के लिए तमाम तरह के तरीके आज प्रचलन में हैं। कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां, इंट्रा यूटरीन उपकरण, स्पर्मीसाइडल जेल आदि कई उपकरण ऐसे हैं जिनके प्रयोग से अनचाहे गर्भ को आसानी से रोका जा सकता है। इनमें अगर कंडोंम को छोड़ दिया जाए तो बाकी सारे तरीके शरीर में रासायनों के प्रवेश की वजह से प्रभावी होते हैं। इनके कई साइड इफेक्ट्स होते हैं। स्पर्मीसाइड जेल की वजह से वेजाइना में जलन होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसे ही कई नकारात्मक प्रभाव इन गर्भ निरोधकों की वजह से सामने आते हैं। ऐसे में गर्भ रोकने के लिए प्राकृतिक उपचारों का प्रयोग बेहतर विकल्प हो सकता है।

नीम – नीम के तेल का परंपरागत रूप से गर्भनिरोधक के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। यह एक तरह का एंटीसेप्टिक होता है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। नीम के तेल का प्रयोग वेजिनल क्रीम या फिर जेल के रूप में किया जा सकता है। यह इस्तेमाल किए जाने के पांच घंटे तक प्रभावी रहता है। इसके अलावा पुरूष नीम के तेल का कैप्सूल के रूप में भी सेवन कर सकते हैं, जिससे गर्भधारण को रोका जा सकता है।

हल्दी – हल्दी गर्भावस्था को रोकने का बहुत पुराना नुस्खा है। हल्दी में कर्क्यूमिन (Curcumin) नाम का एक तत्व होता है। वैजाइनल ऑरफिस में हल्दी लगाए जाने के बाद यह शुक्राणुओं की गतिशीलता को ब्लॉक कर सकता है। जिससे गर्भ की संभावना नहीं रहती।

अरंडी के बीज – अरंडी के बीज को फोड़कर उसमें मौजूद सफेद बीज को निकाल लें। शारीरिक संबंध बनाने के 72 घंटे के भीतर महिलाएं यदि इसका सेवन करती हैं तो यह गर्भधारण की संभावना को रोक सकता है। महिलाएं इसका सेवन पीरियड्स के तीन दिनों तक करें तो एक महीने तक इसका प्रभाव रहेगा।

पुदीना – पुदीना भी गर्भ रोकने का बेहतर उपाय है। सूखे हुए पुदीने के पत्ते का पाउडर बनाकर रख लें। शारीरिक संबंध बनाने के पांच मिनट के बाद एक ग्लास गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच पाउडर का सेवन करें।

आंवला – प्रेग्नेंसी रोकने में आंवला भी काफी असरदार हो सकता है। इसे प्रयोग करने के लिए आंवले के साथ रसनजनम और हरितकारी को समान मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। ये औषध‌ियां क‌िसी भी आयुर्वेदिक स्टोर पर म‌िल जाएंगी। महिलाएं इस पाउडर का सेवन पीरियड्स के चौथे दिन से 16वें दिन तक करें तो यह गर्भनिरोधक गोलियों की तरह ही असरदार होता है।