Happy Women’s Day 2019: इंटरनेशनल वुमेन्स डे 8 मार्च को मनाया जाएगा। इंटरनेशनल वुमेन्स डे पूरे विश्व में खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है। महिलाओं के त्याग, बलिदान और समाज में उनके योगदान के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए इंटरनेशनल वुमेन्स डे सेलिब्रेट किया जाता है। महिला दिवस का वास्तविक उद्देश्य यह है कि महिलाओं को जीवन में बराबरी का असल मायने में मिले। वक्त के साथ समाज में महिलाओं का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। अब महिलाएं हर क्षेत्र में कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं। लेकिन पहले ऐसा नहीं था। वक्त के साथ अपनी पहचान महिलाओं अपनी कामयाबी की इबारत खुद लिखी है। हालांकि इसके पीछे मेहनत और संघर्ष की लंबी कहानी है। जिसकी बदौलत आज महिलाएं गर्व के साथ कह सकती हैं कि वे पुरुषों की तुलना में किसी भी मोर्च पर कम नहीं हैं।
अब इंटरनेशनल वुमेन्स डे 8 मार्च को मनाया जाता है। लेकिन शुरुआत में इसे मनाने की तारीख कोई और थी। अब तो इसे मनाए जाते हुए एक सदी से ज्यादा बीत चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सबसे पहले 1909 में मनाया गया। इतिहास के पन्ने पलटने पर जानकारी मिलती है कि 1909 से ठीक एक साल पहले यानी 1908 में 15 हजार महिलाओं ने मिलकर मार्च निकाला था। महिलाओं ने यह मार्च न्यूयॉर्क में वोटिंग के अधिकार, बेहरत तनख्वाह और काम करने की नियमति अवधि को लेकर निकला था।
28 फरवरी 1909 को अमेरिका में सबसे पहले वूमेन्स डे सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर मनाया गया। हालांकि बाद में लोगों की सहमति से इस फरवरी महीने के आखिरी रविवार को सेलिब्रेट करने का फैसला लिया गया। हालांकि तब तक यह केवल इसी देश तक सीमित था। इसके बाद सन 1910 में जर्मनी में इंटरनेशनल वूमेन डे का मुद्दा कालरा जेटकीन नाम की महिला ने उठाया। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, दुनिया के हर देश में महिला को बढ़ावा देने के रूप में एक दिन तय करना चाहिए।
इसके बाद 17 देशों की महिलाओं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने पर सहमति जताई। इसके बाद 19 मार्च 1911 को ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में महिलाओं के सम्मान में यह दिन मनाया गया। तब तक वूमेन्स डे पहले की नियत तारीख पर ही मनाया जाता रहा। लेकिन करीब दो साल बाद इस दिन को मनाने की तारीख में बदलाव किया गया। इंटरनेशनल वूमेन्स डे सन 1913 में को 8 मार्च को मनाने पर फैसला किया गया। इसके बाद को सन 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिवस मान्यता दी। इसके बाद से यह दिन हर साल एक थीम के साथ मनाया जाता है।
