The Banyan Tree : हर देश के अपने राष्ट्रीय प्रतीक होते हैं जो कि उस देश के लोगों को लक्ष्यों को व उस देश के इतिहास को भी दर्शाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत के भी कई राष्ट्रीय प्रतिक हैं। जैसे कि भारत का राष्ट्रीय पशु, पक्षी, फूल आदि इन सबके बारे में तो हर कोई जानता भी है।

लेकिन क्या आप भारत के राष्ट्रीय वृक्ष के बारे में जानते हैं? जी हां राष्ट्रीय वृक्ष शायद राष्ट्रीय वृक्ष के बारे में काफी कम लोग जानते हैं , लेकिन आज हम आपको राष्टीय वृक्ष के बारे में और उससे जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में चर्चा करेंगे। तो आइए जानते हैं, क्या है भारत का राष्ट्रीय वृक्ष और इसकी खासियत-

क्या है भारत का राष्ट्रीय वृक्ष और इसे कब अपनाया गया? (When was banyan tree adopted as national tree?)

1950 में भारत सरकार द्वारा इसकी उपयोगिता, विशालता और वैज्ञानिक महत्व के साथ-साथ पौराणिक महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने बरगद को राष्ट्रीय वृक्ष घोषित किया था। बता दें कि बरगद का वृक्ष भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। इसके अलावा इस वृक्ष को फाइकस बैंगा‍लेंसिस भी कहा जाता है साथ ही इस वृक्ष कि शाखाएं बहुत घनी और लम्बी होती हैं। इसके अलावा बरगद का वृक्ष बहुत ही घना और मजबूत वृक्ष होता है जो कि काफी लम्बें समय तक भी नष्ट नहीं होता है।

यह जानकर आपको हैरानी होगी लेकिन यह सच है कि कुछ गांव में आज भी बरगद का वृक्ष एक तरह केंद्र बिंदु माना जाता है। जहां सबलोग बैठ कर वृक्ष की घनी छाया आनंद लेते हैं और एक दूसरे से हंसी मजाक भी करते हैं। इसके अलावा इसी वृक्ष के नीचे बैठ कर कई जगहों पर ग्राम पंचायत की बैठक भी की जाती हैं।

बरगद का वृक्ष ही क्यों राष्ट्रीय वृक्ष के रूप में चुना गया? (Which is our national tree and why?)

बता दें कि बरगद का वृक्ष काफी लम्बें समय तक हरा -भरा रहता है क्योंकि इसकी शाखाएं हमेशा बढ़ती और फैलती रहती हैं। इस वृक्ष की विशाल संरचना और इसकी गहरी जड़ें देश की एकता का प्रतीक मानी जाती हैं। इसलिए बरगद के वृक्ष को राष्ट्रीय वृक्ष के रूप में चुना गया।

क्या हैं बरगद के वृक्ष की खासियत ? (What is banyan tree famous for?)

बरगद का वृक्ष दुनिया का सबसे बड़ा वृक्ष है। जी हां बरगद के वृक्ष की गिनती दुनिया के सबसे बड़े वृक्षों में की जाती है। बता दें कि पश्चिम बंगाल के हावड़ा में आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डन में एक बहुत ही बड़ा वृक्ष स्थित है। ये विशाल बरगद का पेड़ 1787 में यही स्थापित किया गया था। उस दौरान इसकी उम्र करीबन 20 साल थी। पेड़ की इतनी जड़ें और बड़ी-बड़ी शाखाएं हैं, जिसकी वजह से ये हर किसी को देखने में ऐसा लगता है, जैसे कोई जंगल में आ गया हो। जिसको ग्रेट बरगद के वृक्ष से भी जाना जाता है। दरअसल यह दिखने में किसी बगीचे के जैसे लगता है। लेकिन असल में यह एक ही वृक्ष है जो कि 3.5 एकड़ में फैला हुआ है और इसकी लंबाई लगभग 80 फीट है।

जानलेवा बीमारियों की दवाओं में होता है बरगद के फल का इस्तेमाल (Banyan fruit is used in medicines for deadly diseases)

बरगद के वृक्ष से घनी छाया तो मिलती ही है। इसके अलावा पक्षियों का बसेरा भी इस वृक्ष पर खूब ज्यादा होता है क्योंकि यह बहुत ही घना होता है जिससे पक्षी आसानी से अपना घर बना लेते हैं। बता दें कि बरगद का वृक्ष कई रोगों को कम करने में भी मदद करता है। जिसमें जोड़ों का दर्द भी शामिल है , दरअसल जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए इसकी पत्तियों का अर्क निकालकर और अर्क को दर्द वाली जगह पर मालिश करने से दर्द कम होता है। इसके अलावा इसकी पत्तियां त्वचा के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। क्योंकि इसकी पत्तियों में एंटी-माइक्रोबियल तत्व मौजूद होते हैं जो कि स्किन से बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करते हैं।

इसके अलावा बरगद के फल में मौजूद पोटैशियम सोडियम के स्तर को कम करने में कारगर होता है। इसमें कई ऐसे तत्व होते हैं जो रक्तचाप को कम करते हैं और कोरोनरी हृदय रोग को रोकने के लिए उपयोगी होते हैं। ऐसे में अगर कोई दिन में एक बार भी बरगद के पेड़ के फल का सेवन करे तो अचानक दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम हो सकता है।