होली एक धार्मिक त्योहार है जिसे पूरे भारत में हिन्दूओं द्वारा मनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार दिवाली के बाद होली दूसरा बड़ा त्योहार होता है। होली को रंगों के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। होली का त्योहार दो दिन मनाया जाता है, एक दिन होलिका दहन के रुप में और अगले दिन धुलंडी के रुप में। पूरे देश में होली का आनंद इसी दिन लिया जाता है। भारत में इस साल होलिका दहन 12 मार्च को किया जाएगा और 13 मार्च को लोग रंगों के इस त्योहार का आनंद उठाएंगे। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े स्थानों पर होली का एक अलग ही रंग देखने को मिलता है। मथुरा, वृंदावन, गोकुल, नंदगांव और बनारस की होली काफी प्रसिद्ध है।

बनारस की लट्ठमार होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। पहले दिन सूरज ढलने के बाद होलिका दहन किया जाता है। इस दिन महिलाएं एक लोटा जल, चावल, धूपबत्ती, फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल और नारियल से होलिका का पूजन करती हैं। महिलाएं होलिका के चारों ओर कच्चे सूत को सात परिक्रमा करते हुए लपेटती हैं। इसके बाद लोटे का शुद्ध पानी और अन्य पूजन की सभी चीजें एक-एक करके होलिका की पवित्र अग्नि में डालती हैं।

कई जगहों पर महिलाएं होलिया दहन के मौके पर गाने भी गा​ती हैं। होलिका दहन के अगले दिन लोग रंगों से होली खेलते हैं। रंगों के इस त्योहार पर एक दूसरे को रंग लगाकर एक-दूसरे को इस त्योहार की शुभकामनाएं देते हैं। लोग होली खेलने के लिए सूखे और पानी वाले दोनों रंगों का इस्तेमाल करते हैं। मगर ज्यादातर लोग सूखे रंगों से होली खेलना पसंद करते हैं जिन्हें गुलाल कहा जाता है।

लेकिन कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि पानी वाले रंगों के बिना होली का त्योहार अधूरा है। इसलिए लोग इन गीले रंगों में थोड़ा सा पानी मिलाकर दूसरों के चेहरे पर लगाते हैं और कहते है बुरा न मानो होली है। होली का और ज्यादा मजा लेने के लिए लोग पानी की बालटी में गीले और सूखे रंगों को मिलाते हैं और दूसरे व्यक्ति पर पानी को डालकर उसे पूरा ​भिगो देते हैं।