फूड पॉइजनिंग पाचन संबंधी एक स्वास्थ्य समस्या है जिसके कारण पाचन तंत्र भोजन को पचा नहीं पाता है। इसके दौरान आपको पेच में दर्द, उल्टी, मितली, डायरिया और भूख कम लगना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बूढ़े लोगों को फूड पॉइजनिंग का शिकार होने की संभावनाएं अधिक होती हैं। कुछ खाद्य पदार्थ भी ऐसे हैं जिनका सेवन करने से आपको फूड पॉइजनिंग होने की संभावनाएं होती हैं। वायरस, बैक्टीरिया, पैरासाइट्स और टॉक्सिन्स से दूषित खाद्य पदार्थों का सेवन करने के कारण फूड पॉइजनिंग हो सकती हैं। इसलिए आपको कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।

पत्तेदार साग-सब्जियां:
पत्तेदार साग-सब्जियों को कच्चा खाने से फूड पॉइजनिंग होने की अधिक संभावनाएं होती हैं। पालक, लेटस, सेलेरी और टमाटर जैसी सब्जियां हानिकारक बैक्टीरिया जैसे ई. कोली और साल्मोनेला से दूषित होती हैं। इसलिए इन्हें खाने से पहले अच्छे से साफ कर लें।

चावल:
चावल सबसे आम अनाज है जिसका सेवन अधिकतर घरों में किया जाता है। हालांकि यह फूड पॉइजनिंग का कारण भी हो सकता है। बिना पके चावल बकिल्लुस सेरेउस (Bacillus cereus) बैक्टीरियम से दूषित हो सकते हैं। यह बैक्टीरिया चावलों को पकाने के बाद भी मौजूद रहता है और आपको बीमार कर सकता है। इसलिए पकाने के तुरंत बाद चावलों का सेवन करें या फिर इन्हें रेफ्रिजरेटर में स्टोर कर दें।

अंडा:
हालांकि अंडों का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है लेकिन ये फूड पॉइजनिंग का कारण भी बन सकते हैं। अगर इनका सेवन आधा पका या कच्चा किया जाए। अंडों में साल्मोनेला बैक्टीरिया होता है जो एगशैल और अंडे के आंतरिक भाग को दूषित कर सकता है।

चिकन:
आधा पका या कच्चा मांस जैसे चिकन, टर्की आदि फूड पॉइजनिंग का मुख्य कारण हो सकता है। इनमें बैक्टीरिया जैसे कैम्पाइलोबैक्टर (Campylobacter) और साल्मोनेला (Salmonella) पाएं जाते हैं जो इन्हें दूषित कर देते हैं। इसलिए इन्हें अच्छे से पकाकर ही खाएं।