महात्मा गांधी का जीवन परिचय: देश भर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी को सारी दुनिया में महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है। यह संबोधन उन्हें सबसे पहली बार गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया था। महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य को आधार बनाकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पटकथा लिखी और सफल हुए। भारत को स्वतंत्र कराने के लिए गांधीजी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अभियानों का नेतृत्व किया था। उनके अहिंसात्मक आंदोलनों की तत्कालीन विश्व में काफी सराहना की गई थी। दुनिया के कई देशों में आज भी सत्याग्रह का इस्तेमाल प्रशासन के आततायी चरित्र के खिलाफ किया जाता है। वक्त बीता लेकिन महात्मा गांधी का अहिंसा सिद्धांत आज तक प्रतिरोध का सबसे सशक्त हथियार बना हुआ है। हर परिस्थिति में अहिंसा का समर्थन करने वाले गांधीजी की 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गांधीजी की हत्या से न केवल भारतीय बल्कि दुनियाभर के लोग हतप्रभ रह गए थे। वैचारिक मतभेद के चलते नाथूराम गोडसे नाम के शख्स ने गांधीजी की छाती पर तीन गोलियां दाग दी थीं। लेकिन, महात्मा गांधी की हत्या का यह पहला प्रयास नहीं था। इससे पहले भी उनकी हत्या के अनेक प्रयास किए जा चुके थे।
पहले भी हो चुका था हत्या का प्रयास – महात्मा गांधी कभी नहीं चाहते थे कि जो लोग उनसे मिलने आएं उन्हें किसी तरह की सुरक्षा जांच से दिक्कत हो या फिर उनकी तलाशी ली जाए। इसलिए उन्होंने किसी भी तरह की सरकारी सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया था। गांधीजी की हत्या से पहले भी कई बार उन्हें जान से मारने की की कोशिश की जा चुकी थी। ऐसी ही एक कोशिश उनकी हत्या से 10 दिन पहले की गई थी। बापू की काफी करीबी सहयोगी रहीं मनुबेन ने अपनी डायरीनुमा पुस्तक अंतिम झांकी में इसका जिक्र किया है। अपनी डायरी के 20 जनवरी 1948 तारीख वाले पन्ने पर उन्होंने बताया है कि 20 जनवरी की शाम बापू की प्रार्थना के बाद प्रवचन के वक्त एकाएक जोर का धमाका हुआ और सब-लोग यहां-वहां भागने लगे। उन्होंने आगे लिखा है कि वह भी इस धमाके से काफी डर गईं और बापू के पैर पकड़ लिए थे। इस पर बापू ने उनसे कहा – क्यों डर गई? कोई सैनिक लोग गोलीबारी की तालीम ले रहे होंगे। ऐसा कहकर बापू ने प्रवचन जारी रखा।
मनुबेन ने आगे लिखा कि जब सब लोग प्रार्थना के बाद अंदर गए तब पता चला कि यह बापू को मारने का षडयंत्र था। प्रार्थना के दौरान ही 25 वर्षीय मदनलाल नाम के एक शख्स ने यह बम फेंका था। बम फेंककर भागते हुए मदनलाल को प्रार्थना में आयी एक पंजाबी महिला ने पकड़ लिया। पूछताछ में मदनलाल ने बताया कि उसे गांधीजी की सुलह-शांति पसंद नहीं थी। इसलिए गांधीजी को मार डालने के लिए ही उसने यह बम फेंका है। अगले दिन गांधीजी की सुरक्षा के लिए बिड़ला भवन में मिलिट्री रखी गई और तय किया गया कि प्रार्थना में आने वाले लोगों की तलाशी ली जाएगी। लेकिन बापू ने इससे साफ-साफ इनकार कर दिया। सरदार पटेल से काफी वाद-विवाद के बाद उन्होंने कुछ मिलिट्री का पहरा रहने देने की बात मान ली। बाद में मदनलाल के बारे में बोलते हुए महात्मा गांधी ने कहा कि उसे कोई नफरत से न देखे। उसे लगता है कि मैं हिंदू धर्म का दुश्मन हूं जबकि मैं बचपन से ही सभी धर्मों के प्रति समादर दिखाता आया हूं। उन्होंने कहा कि जो दुष्ट होगा उसे सजा देने के लिए भगवान बैठा है।