Ravan Dahan PM Modi, Dussehra 2019 Updates: प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को दशहरा की बधाई देते हुए कहा कि भारत उत्सवों का देश है। उन्होंने कहा, ‘उत्सव हमारे देश का जीवन हैं। इस दीपावली हमें अपनी उन बेटियों को सम्मानित करना चाहिए जिन्होंने कुछ हासिल किया है या दूसरों को प्रेरित किया है।’ मोदी ने कहा, ‘उत्सव हमें जोड़ते हैं, हमें उत्साह से भरते हैं और हमारे सपनों को सजाते हैं। उत्सव भारत में सामाजिक जीवन का प्राणतत्व हैं। गीत, नृत्य एवं नाटक जैसी कला विधाएं हमारे देश के त्यौहारों से अभिन्नता से जुड़ी हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इसी लिए भारतीय परम्परा इंसानों को जन्म देती है, रोबोट को नहीं। वर्षभर में आने वाले उत्सव लोगों को क्लब संस्कृति से दूर रखते है। ये उत्सव मानवता और संवेदनशीलता के गुणों को उभारते हैं।’
नवरात्र के आखिरी दिन नवमी की पूजा के बाद दशहरे की तैयारियां शुरू हो गई हैं। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, इस बार नवरात्र पूरे 9 दिन का रहा, जिसके बाद 8 अक्टूबर यानी मंगलवार को दशहरा मनाया जाएगा। यह त्योहार भगवान राम और मां दुर्गा को समर्पित माना जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान राम ने लंकाधिपति रावण का वध किया था। वहीं, मां दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर का संहार किया था, जिसके चलते इस दिन को विजयदशमी भी कहा जाता है।
बता दें कि दशहरा मनाते वक्त जलेबी खाने का रिवाज है। जानकार बताते हैं कि लोग इस दिन जलेबी खाते हैं और उसे घर भी लेकर जाते हैं। इसकी वजह यह है कि भगवान राम को शश्कुली नाम की मिठाई काफी पसंद थी, जिसे अब जलेबी कहा जाता है। ऐसे में रावण दहन के बाद लोग जलेबी खाकर खुशी मनाते हैं। उधर, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में दशहरे पर अलग रिवाज है। यहां दशहरे का उत्सव 75 दिन तक मनाया जाता है।
Highlights
पूरे देश में दशहरा अलग -अलग तरह से मनाया गया है। देखें तस्वीर।
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के बड़वाह में मंगलवार (08 सितंबर) की देर शाम चोरल नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान दो युवकों की नदी में डूबने से मौत हो गई। पुलिस ने बताय कि दोनों युवक सनावद के मोरघडी कालोनी से माता की मूर्ति विसर्जन करने आये थे और विसर्जन के बाद नहाने के समय गहरे पानी में डूबने से इनकी मौत हो गई।
ओडिशा के भुवनेश्वर में 40 फीट के कागज का रावन बनाया गया। इसे जलाने के बजाय फाड़कर दशहरा मनाया गया। प्रदूषण मुक्त दशहरा मनाने के लिए यह कदम उठाया गया।
रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले जला कर यहां गांधी मैदान में पूरे उत्साह के साथ दशहरा मनाया गया। लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ किसी भाजपा नेता के मंच पर मौजूद नहीं होने से राज्य में राजग में दरार पड़ने की अटकलें फिर से लगाई जाने लगी हैं। ऐतिहासिक गांधी मैदान में वर्षों से ‘रावण वध’ किया जा रहा है लेकिन इस बार यहां भीड़ अपेक्षाकृत कम रही। संभवत: भारी बारिश के कारण मची तबाही इसका कारण रही। मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा इस दौरान मंच पर मौजूद थे।
कर्नाटक के मैसूर में दशहरा कुछ इस तरह से मनाया गया।
मध्य प्रदेश के भोपाल में विजयादशमी मनाई गई। देखें तस्वीरें।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दशहरे के मौके पर जातिवाद, कट्टरता, भ्रष्टाचार और भेदभाव जैसी कुरीतियों को खत्म करने की बात कही जो समाज और देश की प्रगति में बाधा हैं। नायडू और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंगलवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित दशहरा समारोह में शामिल हुए। इस मौके पर नायडू ने आदर्श माने जाने वाले राम राज्य का गुणगान किया और कहा कि महात्मा गांधी का सपना था कि भारत राम राज्य के लक्ष्य को प्राप्त करे।
दिल्ली के द्वारका में पीएम मोदी ने तीर छोड़कर रावण के पुतले का दहन किया।
तमिलनाडु में लोग इस दिन शरीर को घायल कर विजयदशमी का पर्व मनाते हुए।
दीपावली पर उत्तर प्रदेश में सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली दी जाएगी। ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार के मुताबिक, प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार दीपावली पर बाजारों की रौनक बरकरार रखने और अंधेरा दूर करने के लिए जिला मुख्यालयों के साथ-साथ गांवों में भी 24 घंटे बिजली की
रांची के मोरहाबादी मैदान में 65 फीट के रावण का दहन किया जाएगा। यहां कुंभकर्ण का 60 फीट और मेघनाद का 55 फीट का पुतला लगाया गया है। बताया जा रहा है कि दहन के दौरान सीएम रघुवर दास बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहेंगे।
रावण सोचता था कि यदि मुझे पहले मोक्ष मिल गया तो संसार के बाकी राक्षस आतंक मचा देंगे। रावण ने एक-एक करके सभी राक्षसों को मोक्ष दिलाया। अंत में पाताल का एक राक्षस बच गया था, जिसका नाम था अहिरावण। उसे भी प्रभु राम के हाथों मोक्ष दिलाने का काम किया। भगवान राम ने रावण का क्रियाकर्म तक किया। इसके बाद हवन करके दोषमुक्त हुए। जब रावण अंतिम सांस ले रहा तो भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण से कुछ ज्ञान ले लो। यह प्रकांड ज्ञाता है, जिसने त्रिकालदर्शी होने की वजह से यह चक्रव्यूह रचा।
बनारस के रामनगर की रामलीला सदियों पुरानी है। यहां पर आज भी रामलीला बिना बिजली और लाउडस्पीकर के होती है। इस विश्व प्रसिद्ध रामलीला को देखने के लिए अंग्रेज लोग भी आया करते थे। काशी नरेश के संरक्षण में होने वाली इस लीला का आकर्षण यहां पर राम-सीता के पात्र का वास्तविक विवाह होता है।
प्रयागराज का प्रसिद्ध पथरचट्टी रामलीला और पजावा रामलीला अंग्रेजों के जमाने से हो रही है। दस दिवसीय इन रामलीलाओं को देखने के लिए लाखों लोग पहुंचते हैं। भगवान का भोर में प्रतिदिन आकर्षक श्रृंगार रथ निकाला जाता है। इन रथों को अलग-अलग दिन सोने-चांदी, फूलों, फलों, बर्फ आदि से बनाकर प्रदर्शन किया जाता है।
प्रयागराज का दशहरा उत्सव महीने भर चलता है। नवरात्र से शुरू होकर दीपावली के बाद तक चलने वाले इस उत्सव में प्रतिदिन किसी न किसी क्षेत्र या गांव में रामदल निकलता है। इसकी वजह से इस दौरान घूम-घूमकर व्यापार करने वाले छोटे दुकानदारों और कारोबारियों को जगह-जगह अपनी दुकाने लगाने और धन कमाने का अवसर मिलता है।
रथपति की उपाधि से अलंकृत होकर राजा ने यात्रा से वापसी के पश्चात बस्तर में दशहरे के दौरान रथ चलाने की प्रथा शुरू की। तब से अब तक लगभग 6 सदियां गुजर चुकी हैं किंतु बस्तर का दशहरा उसी उत्साह, ऊर्जा, धार्मिकता और मां दंतेश्वरी देवी के प्रति श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। स्थानीय निवासियों की सहभागिता के साथ-साथ यहां के राजघरानों की उपस्थिति भी इस आयोजन को शानदार बनाती है। बस्तर के दशहरे का मुख्य आकर्षण रथ यात्रा होती है।
मान्यता है कि 15वीं शताब्दी में बस्तर के काकतीय नरेश पुरुषोत्तम देव ने एक बार बस्तर से जगन्नाथपुरी तक पैदल यात्रा की थी। इस यात्रा में उनके साथ स्थानीय आदिवासी भी गए। जगन्नाथपुरी मंदिर पहुंचने पर राजा पुरुषोत्तम देव ने मंदिर को एक लाख स्वर्ण मुद्राएं व आभूषण भेंट किए। मंदिर में राजा को 'रथपति' घोषित कर दिया गया।
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले की महत्वपूर्ण पहचान यहां मनाए जाने वाले दशहरे से भी है। बस्तर क्षेत्र में दशहरा करीब 75 दिन तक मनाया जाता है, जिसमें अंतिम 15 दिन काफी खास होते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां का दशहरा राम-रावण कथा से संबंधित न होकर मातृशक्ति से जुड़ा हुआ है।
जलेबी ऐसी मिठाई है, जो देश में काफी मशहूर है। सर्दियों में खाने के बाद अगर गर्मागर्म जलेबी मिल जाए तो मजा आ जाता है। जलेबी केसरी एक पारंपरिक मिठाई है, जिसे दशहरा, दिवाली या अन्य खास अवसरों पर बनाया जाता है। आप भी इस त्योहार के सीजन में घर पर जलेबी बना सकते हैं।
बताया जाता है कि भगवान राम ने जब अपना नेत्र मां दुर्गा को अर्पित करने का निर्णय लिया तो देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हो गईं। इसके बाद मां दुर्गा ने उन्हें विजयी होने का वरदान दिया। माना जाता है इसके बाद ही दशमी के दिन श्रीराम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर और मां दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है।
माना जाता है भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था। कहा जाता है कि मां दुर्गा ने भगवान राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखे गए कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया। भगवान राम को राजीवनयन यानि कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था, इसलिये उन्होंने अपना एक नेत्र मां दुर्गा को अर्पण करने का निर्णय लिया।
यह त्योहार भगवान श्री राम की कहानी बताता है, जिन्होंने 9 दिन तक लगातार चले युद्ध के बाद लंकाधिपति रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त कराया था। इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था। ऐसे में यह दिन विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। साथ ही, मां दुर्गा की पूजा भी की जाती है।
दशहरे पर रावण दहन के दौरान आसपास जलेबी के बहुत से स्टॉल होते हैं। कहा जाता हैं कि भगवान राम को शश्कुली नाम की मिठाई काफी पसंद थी। इसे ही आजकल जलेबी कहा जाता है। ऐसे में रावण पर विजय के बाद जलेबी खाकर खुशी मनाई जाती है।
देश के कई राज्यों में नवरात्र डांस फेस्टिवल के रूप में भी मनाया जाता है। गुजरात में गरबा और महाराष्ट्र में डांडिया काफी फेमस है। हाल के वर्षों में डांडिया फीवर देशभर में फैल चुका है।
2019 में आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 8 अक्टूबर मंगलवार के दिन पड़ रही है। पुराणों के मुताबिक, लंकाधिपति रावण को पराजित करके आज ही के दिन भगवान राम ने विजय पताका फहराई थी। इस बार विजयदशमी या दशहरा 8 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।
दशहरे पर देश में उत्सव का माहौल होता है। जगह-जगह दुर्गा पूजा के पंडाल बनाए जाते हैं और देवी जागरण होता है। वहीं, रावण का दहन भी किया जाता है। दशहरे से 20 दिन बाद दिवाली मनाई जाती है।
दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत प्रतीक माना जाता है। ऐसे में इसे विजयादशमी या आयुध-पूजा भी कहते हैं। यह भगवान राम की रावण पर जीत व मां दुर्गा द्वारा महिषासुर के संहार के दिन के रूप में मनाया जाता है।