Cancer Infection Manicure: हर महिला फैशन की दीवानी होती है। आजकल महिलाएं नाखूनों से लेकर चेहरे तक तरह-तरह के ब्यूटी ट्रीटमेंट करवा रही हैं। मैनीक्योर महिलाओं को जरूर पता होगा। नाखूनों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए महिलाएं हर महीने पार्लर में मैनीक्योर कर रही हैं। क्या हो अगर नेल्स को साफ और सुंदर बनाने के लिए मैनिक्योर किया जाए और वह जानलेवा हो जाए? अब आप कहेंगे कि ये कैसे संभव है। लेकिन क्या आप इस बात से वाकिफ हैं कि यह आपकी सेहत पर कितना गंभीर असर डाल सकता है।

असल में मैनीक्योर कराने गई एक महिला अपने नाखूनों के जरिए घातक कैंसर वायरस से संक्रमित हो गई। अमेरिका में रहने वाली महिला ग्रेस गार्सिया के साथ ऐसा ही हुआ है। Mirror.co.uk पर पब्लिश के जानकारी के मुताबिक जब ग्रेस मैनीक्योर के लिए जब भी गई, तो उसके नाखूनों को नेल कटर जैसे छोटे उपकरण से सही आकार में ट्रिम कर दिया गया।

फिर ग्रेस की उंगलियों के सिरों पर की त्वचा लाल होकर छिलने लगी। ग्रेस ने यह सोचकर इसे नज़रअंदाज़ कर दिया कि यह सिर्फ एक सामान्य छाला है। लेकिन तीन महीने बाद भी छाला वैसा ही रहा, ग्रेस को शक हुआ और उन्होंने मेडिकल टेस्ट कराने का फैसला किया। जांच के बाद पता चला कि ग्रेस स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा से संक्रमित थी। यह एक प्रकार का स्किन कैंसर (UV Nail Polish Dryers May Cause Skin Cancer) है।

अगर दिख रहे ये लक्षण तो आप हो सकते हैं Lung Cancer के शिकार, डॉक्टर से जानिए कैसे करें बचाव

नेचर साइंटिफिक जर्नल के एक नए अध्ययन के अनुसार, जेल नेल पॉलिश ड्रायर लैंप के लंबे समय तक इस्तेमाल से त्वचा कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। इसमें कहा गया है कि वी-नेल पॉलिश ड्रायर, जो जेल मैनीक्योर में लोकप्रिय रूप से उपयोग किए जाते हैं। पराबैंगनी प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं जो लंबे समय में हानिकारक हो सकता है। NYPost.com में पब्लिश एक लेख के मुताबिक वैज्ञानिकों ने कहा कि इन उपकरणों को कंपनियां सुरक्षित बताती हैं, लेकिन उन पर कोई वास्तविक अध्ययन नहीं किया गया है और जो यह बता सकें कि मॉलिक्यूलर सेलुलर लेवल्स पर मानव कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि समय के साथ पराबैंगनी किरणें (UV Radiation) डीएनए को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती हैं। अध्ययन के लेखक प्रोफेसर लुडमिल एलेक्जेंड्रोव ने कहा कि पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से डीएनए को नुकसान पहुंचता है, लेकिन इनमें से कुछ DNA रिपेयर नहीं हो पाते हैं, फिर जब भी नेल पॉलिश ड्रायर से पराबैंगनी किरणें निकलती हैं तो यह क्षतिग्रस्त DNA म्यूटेट होने लगता है।

इतना ही नहीं अध्ययन में यह भी पाया गया कि इससे कोशिकाओं के अंदर माइटोकॉन्ड्रिया की कार्यप्रणाली भी बिगड़ जाती है फिर और म्यूटेशन होने लगते हैं। अध्ययन में जब त्वचा के कैंसर से पीड़ित कुछ लोगों की कोशिकाओं का विश्लेषण किया गया तो एक समान पैटर्न देखा गया। यानी क्षतिग्रस्त डीएनए कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं में बदल देती है।