CJI BR Gavai News: मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि न्याय कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं बल्कि प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। उन्होंने साथी न्यायाधीशों, वकीलों और कानूनी अधिकारियों से समाज में हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट परिसर में कानूनी सहायता वितरण तंत्र को मजबूत करने पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि हमारी सफलता का असली पैमाना संख्या में नहीं, बल्कि आम आदमी के विश्वास में है।
इस दौरान सीजेआई ने मणिपुर की यात्रा के अनुभव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “एक घटना मेरे मन में हमेशा के लिए बस गई है। कुछ महीने पहले, जब मैं नालसा का कार्यकारी अध्यक्ष था, तो मैं अपने सहयोगियों के साथ मणिपुर राज्य के चुराचांदपुर में एक रिलिफ कैंप में राहत सामग्री बांटने गया था। एक बुजुर्ग महिला आगे आईं और उन्होंने हाथ जोड़कर, आंखों में आंसू भरकर, मुझसे कहा, ‘बने रहो भैया’। मेरे लिए वह पल इस बात की याद दिलाने वाला था कि लीगल सर्विस मूवमेंट का असली इनाम आंकड़ों या सालाना रिपोर्ट में नहीं है।”
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कमजोर व्यक्ति का चेहरा याद करना चाहिए- बीआर गवई
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा, “आज लीगल सर्विस डे पर मैं उस बात पर विचार कर रहा हूं जिसे महात्मा गांधी ने अपना नैतिक दिशासूचक, अपना ताबीज कहा था।” उन्होंने कहा, “जब भी हमें कोई संदेह हो, हमें उस सबसे गरीब और कमजोर व्यक्ति का चेहरा याद करना चाहिए जिसे हमने देखा है और खुद से पूछना चाहिए कि क्या हम जो कदम उठाने जा रहे हैं, वह उनके किसी काम आएगा। मेरे लिए, यह विचार कानूनी मदद के आंदोलन और हमारी लीगल सर्विस संस्थाओं के कार्यों में अपनी सच्ची अभिव्यक्ति पाता है।”
न्याय केवल कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं – सीजेआई
सीजेआई गवई ने कहा, “यह आंदोलन कई मायनों में गांधीजी का ताबीज है। यह हमें याद दिलाता है कि न्याय केवल कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक का अधिकार है और न्यायाधीशों, वकीलों और न्यायालय के अधिकारियों के रूप में हमारी भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि न्याय का प्रकाश समाज के हाशिये पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक भी पहुंचे।”
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