आने वाले वक्त में सोनीपत के पास रशियन भाषा बोलते हरियाणावी पहलवानों की फौज देखी जा सकेगी। ऐसा इसिलए मुमकिन होगा क्योंकि योगेश्वर दत्त ने हरियाणा में बच्चों को कुश्ती के दांव पेंच सिखाने के लिए एक अकादमी खोल दी है। योगेश्वर की यह अकादमी पिछले महीने खुली। इसमें कुश्ती सिखने के साथ-साथ रशियन भाषा पर भी जोर दिया जाएगा। योगेश्वर की अकादमी में लगभग 80 बच्चे आने लगे हैं। उनकी उम्र 10 से 17 साल के बीच है। दुनिया भर के पहलवानों और उनके कोचों के बीच रशियन भाषा सबसे ज्यादा बोली जाती है। ऐसे में योगेश्वर को लगाता है कि बच्चों को अभी से इसको सीख लेना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए योगेश्वर ने कहा, ‘इससे फाइट के दौरान उनकी बात समझने में आसानी होगी कि उनका कोच क्या बोल रहा है। पहलवानी में रशियन बोलने वाले देश ही सबसे ज्यादा हैं। अगर इसका बेसिक भी हमारे पहलवानों ने सीख लिया तो फायदा होगा। क्योंकि उन लोगों को हमारी भाषा नहीं आती।’
भूतपूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रहे रूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, उजबेकिस्तान, अज़रबैजान, कजाखस्तान और बेलारूस का पहलवानी के खेल में दबदबा है। इसके अलावा यूएस, ईरान और जापान के खिलाड़ी भी अच्छा करते हैं। रियो ओलंपिक में कुश्ती में दिए गए कुल 72 मेडलों में से 35 पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रहे देशों ने जीते।
योगेश्वर ने बताया कि वह कुछ रशियन टीचर्स के साथ संपर्क में हैं और वे आने वाले वक्त में बच्चों को रशियन सिखाने आएंगे। योगेश्वर दत्त की अकेडमी में मॉर्डन जमाने की कुश्ती के साथ-साथ अखाड़े की पहलवानी भी सिखाई जाएगी। योगेश्वर दत्त ने बताया कि रशियन सिखाने वाले लोग अगले महीने से आ जाएंगे। फिलहाल वहां इंग्लिश सिखाई जा रही है। योगेश्वर ने कहा, ‘इस वक्त के पहलवानों में से कोई भी इंग्लिश नहीं बोल सकता। एयरपोर्ट पर तो फिर भी काम चल जाता है क्योंकि हमें पता है कि क्या सवाल पूछे जाएंगे। लेकिन कैंप के बाहर आते ही दिक्कत शुरू हो जाती है।’
योगेश्वर की अकादमी इस वक्त बाली के एक स्कूल से चल रही है। उसको पांच साल के लिए लीज पर लिया गया है। वहां मिट्टी के अखाड़े साथ-साथ एक मैट भी है। बाकी सामान जल्द ही वहां लगा दिया जाएगा। योगेश्वर दत्त ने बताया कि उनके गांव में भी एक पांच एकड़ की अकादमी बन रही है।
बता दें कि हरियाणा और महाराष्ट्र ने भारत को कई पहलवान दिए हैं। योगेश्वर वहां ट्रेनिंग लेने वाले बच्चों की पढ़ाई का भी ध्यान रख रहे हैं। बच्चे 6 से 9 की ट्रेनिंग लेकर वहां से 9.30 पर स्कूल निकल जाते हैं। उनको लेने के लिए बस आती है। योगेश्वर दत्त लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीते थे। वह एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल भी जीत चुके हैं।