प्रीतिश राज। पेरिस ओलंपिक में भारत के निशांत देव मेडल के दावेदार थे लेकिन वह अपने ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल में ही बाहर हो गए। इस हार ने निशांत का दिल तोड़ दिया। वह परिणाम से संतुष्ठ नहीं थे। उन्हें लगा कि परिणाम उनके पक्ष में आना चाहिए था। इस दिल तोड़ने वाली हार के बाद वह कुछ समय के लिए ब्रेक पर गए। कुछ समय बाद खबर आई की निशांत प्रोफेशनल बॉक्सर बनने वाले हैं। निशांत ने अपने इस फैसले के पीछे की वजह भी बताई।

15 साल की उम्र से प्रोफेशनल बॉक्सर बनना चाहते थे निशांत

निशांत यादव के मुताबिक जब वह 15 साल के थे तबसे प्रोफेशनल बॉक्सर बनने का सपना देख रहे हैं। उन्होंने यूट्यूब पर मोहम्मद अली, माइक टाइसन और कॉर्नर मैकग्रेगर की वीडियो देखी और सपना देखने लगे कि एक दिन वह भी ऐसे ही प्रोफेशनल बॉक्सर बनेंगे।

पेरिस ओलंपिक की हार नहीं प्रोफेशनल बनने की वजह

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मेरे चाचा, जो जर्मनी में रहते थे, उन्होंने मुझे प्रोफेशनल बॉक्सिंग की कहानियां सुनाईं, और तब से मेरा सपना शुरू हुआ… मैं 15 साल का था। यह एक गलत धारणा है कि मैं ओलंपिक में मार्को (वर्डे) से हारने के कारण प्रोफेशवल मुक्केबाज बन गया। हां, हार निराशाजनक थी, और उस हार के बाद मैं बहुत बुरी स्थिति में था, लेकिन प्रोफेनल बनने का फैसला मैंने बहुत कर लिया था।’

लॉस एंजेलिस में शुरू हुआ सफर

उन्होंने कहा, “पेरिस मेरे लिए मुश्किल था। मेरा पूरा परिवार वहां मौजूद था, और यह मेरे लिए बहुत बड़ी हार थी। जब परिणाम मेरे पक्ष में नहीं आया, तो मैं पूरी तरह से खो गया। लेकिन मेरा परिवार मेरे साथ है, इसलिए उन्होंने मेरा ख्याल रखा। जब मैं भारत लौटा, तब भी सभी ने यही पूछा, और मैं किसी भी बात का जवाब नहीं देना चाहता था।” इसी दौरान उन्हें सबसे पहले कोच रोनाल्ड का फोन आया जो कि खुद एक प्रोफेशनल बॉक्सर रहे हैं। उन्होंने निशांत को ट्रेनिंग के लिए लॉस एंजेलिस बुलाया और यहीं से निशांत के प्रोफेशनल बनने का सफर शुरू हुआ। तीन महीने में ही उन्हें इंग्लैंड के ब्रिटिश प्रमोटर एडी हर्न का फोन आया और निशांत ने फैसला ले लिया।

निशांत के दिल में अब भी ओलंपिक मेडल जीतने की इच्छा

निशांत ने 23 साल की उम्र में अपना प्रोफेशनल डेब्यू किया। पहले मैच में अमेरिका के एलटन विगिंस को हराया। डेब्यू के बाद भी निशांत ने ओलंपिक मेडल जीतने का इरादा नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा, “जब मैंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने प्रोफेशनल डेब्यू के लिए रिंग में कदम रखा, तो यह मेरे जीवन भर के सपने के साकार होने जैसा था। मैंने तीन-चार साल आगे के बारे में नहीं सोचा है, लेकिन जब भी ओलंपिक पदक जीतने के अपने दूसरे सपने को पूरा करने का मौका मिलेगा, मैं निश्चित रूप से वापस आऊंगा।”