एमएस धोनी शांत रहने और कठिन परिस्थितियों में शांत रहने के लिए कैप्टन कूल के नाम से भी जाने जाते हैं। बहुत कम क्षण ऐसे आए हैं जब एमएस धोनी मैदान पर अपने नाम के अनुरूप नहीं दिखे हैं। हालांकि, भारत के पूर्व क्षेत्ररक्षण कोच आर श्रीधर ने 2014 की एक घटना सुनाई जब भारत के पूर्व कप्तान भारतीय टीम के जीत हासिल कने के बावजूद उग्र हो गए। साल 2014 में क्षेत्ररक्षण कोच बने श्रीधर ने अपनी किताब ‘कोचिंग बियॉन्ड’ में एमएस धोनी के गुस्सा होने का जिक्र किया है।
आर श्रीधर ने किताब में लिखा है, भारतीय टीम के साथ अपने शुरुआती दिनों में… एमएस के इनपुट के बाद, हमने विश्व कप को ध्यान में रखते हुए फील्डिंग के पुराने तरीके से निकलना शुरू किया। हम अक्टूबर 2014 में फिरोजशाह कोटला में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेल रहे थे- एक मैच जिसे हमने आराम से जीता था, लेकिन हम मैदान पर फील्डिंग के मामले में बिल्कुल घटिया थे। यही वजह थी कि एमएस प्रयासों की कमी और फिटनेस के मानकों में गिरावट को लेकर काफी गुस्से में थे।
उस सीरीज में भारत पहला वनडे हार गया था और श्रृंखला में 0-1 से पिछड़ रहा था। एमएस धोनी ने दूसरे मैच में 40 गेंदों में नाबाद 51 रन बनाकर भारत को 50 ओवर में 7 विकेट पर 263 रन तक पहुंचाया। वेस्टइंडीज ने 45 रन पर आठ विकेट गंवा दिए थे। हालांकि, इसके बाद उसकी पूरी टीम को पवेलियन भेजने में भारत ने 170 रन और खर्च कर दिए।
श्रीधर याद करते हैं कि धोनी ने मैच के बाद कहा था, मुझे लगता है कि काफी कुछ चीजें गायब हैं। हमें अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने का प्रयास करना होगा। हम अपनी क्षमता के अनुरूप नहीं खेले हैं। यह खेल हमारी आंखें खोलने के लिए महत्वपूर्ण है। हम जीत गए हैं, लेकिन हम इसे हार सकते थे।
एमएस धोनी ने कहा, ड्रेसिंग रूम में, उन्होंने टीम की अच्चे से क्लास लगाई और सभी खिलाड़ियों को एक अल्टीमेटम दिया। जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अगर वे क्षेत्ररक्षण और फिटनेस में कुछ मानकों को पूरा नहीं करते हैं तो वे विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं बन पाएंगे। इससे मुझे पता चला कि वह सीमित ओवरों के क्रिकेट में किस तरह की क्षेत्ररक्षण संस्कृति स्थापित करना चाहते थे।