क्रिकेट की दुनिया में टॉप सीरीज का जिक्र हो, तो भारत-पाकिस्तान के मैच और एशेज़ सीरीज (इंग्लैंड बनाम ऑस्ट्रेलिया) का नाम सबसे पहले जहन में आता है। ये दोनों ही सबसे दिलचस्प, रोमांचक और पुरानी सीरीज में शुमार हैं। इंडो-पाक सीरीज के नाम तो समय, स्पॉन्सर और लोकेशन के हिसाब से बदलते रहते हैं। मगर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली एशेज़ का नाम नहीं बदला जाता। यह सीरीज जब से शुरू हुई है, तब से यही नाम चला आ रहा है।
जानते हैं इस सीरीज का नाम एशेज़ क्यों रखा गया। 29 अगस्त 1882 को इंग्लैंड के ओवल स्थित मैदान पर टेस्ट मैच हुआ था। कंगारुओं ने इंग्लैड को पहली बार मात दी थी। इसके बाद इंग्लैंड के मशहूर अखबार ‘द स्पोर्टिंग टाइम्स’ ने इसके बाद श्रद्धांजलि संदेश छापा। उसमें लिखा था, इंग्लैंड क्रिकेट की मौत हो चुकी है। उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा। बाद में उसकी राख (एशेज़) को ऑस्ट्रेलिया भेजा जाएगा। यहीं से इस सीरीज का नाम एशेज़ पड़ा था।
135 years ago today, Australia beat England at The Oval and The Ashes were born!
What is your favourite moment from an Ashes Test? pic.twitter.com/l6J0IQ9d1q
— ICC (@ICC) August 29, 2017
इस घटना के बाद ऑस्ट्रेलियाई धरती पर अगली सीरीज होनी थी। उससे पहले इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लाइ ने कहा था कि वह राख वापस ले कर आएंगे। इंग्लैंड ने तब ऑस्ट्रेलिया में सीरीज 2-1 से अपने नाम की। मेलबर्न में इस जीत पर कुछ महिलाओं ने तब इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लाइ को कलश जैसी ट्रॉफी दी थी। तीसरे टेस्ट मैच के दौरान इस्तेमाल की गई गिल्ली की राख उसमें भरी हुई थी।

