यूएस ओपन के पुरुष एकल में भारतीय चुनौती खत्म हो गई है। साल के इस आखिरी ग्रैंड स्लैम के लिए दो भारतीयों प्रजनेश गुणेश्वरन और सुमित नागल ने क्वालिफाई किया था। प्रजनेश पहले दौर में रूस के डेनिल मेदवेदेव से हार गए। एटीपी रैंकिंग 5वें नंबर के खिलाड़ी मेदवेदेव ने 88वें नंबर के प्रजनेश को 6-4, 6-1, 6-2 से हराया। वहीं, सुमित नागल को 20 बार के ग्रैंड स्लैम चैंपियन रोजर फेडरर के हाथों 4-6, 6-1, 6-2, 6-4 से शिकस्त झेलनी पड़ी।

नागल फेडरर से भले ही मुकाबला हार गए हों, लेकिन वे न्यूयार्क के आर्थर एश स्टेडियम में खेले गए इस मैच को देखने वालों का दिल जरूर जीतने में कामयाह रहे। फेडरर ने भी जीत के बाद कहा कि उनके खिलाफ मुकाबला आसान नहीं था।

फेडरर ने कहा, ‘यह मेरे लिये मुश्किल सेट था। उसने बहुत अच्छा खेल दिखाया। उसे इसका श्रेय जाता है। मैं कई गेंद को खेलने से चूक गया। मैं गलतियों में कमी करने पर ध्यान दे रहा था। उम्मीद है कि आगे मैं बेहतर प्रदर्शन करूंगा।’ फेडरर से पूछा गया कि क्या एकबारगी उन्हें लगा कि वह नागल नहीं, बल्कि नडाल के खिलाफ खेल रहे हैं, क्योंकि दोनों के नाम के हिज्जों में केवल ‘डी’ और ‘जी’ का अंतर है। इस पर स्विस दिग्गज ने कहा, ‘नहीं। यह आप लोगों और सोशल मीडिया के लिए है। मैं जंग खा गया था।’

 

सुमित नागल ने जज्बा और जुझारूपन दिखाकर ग्रैंड स्लैम में अपने डेब्यू की स्वप्निल शुरुआत की। उन्होंने दिग्गज रोजर फेडरर से पहला सेट जीत लिया। हालांकि, बाद में फेडरर ने अपने अनुभव का लाभ उठाते हुए मैच जीत लिया। नागल से पहले ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट में केवल सोमदेव देवबर्मन, युकी भांबरी और साकेत मयनेनी ही एक सेट जीतने में कामयाब रहे थे। क्वालिफाइंग के जरिए इस ग्रैंड स्लैम के मुख्य ड्रॉ में जगह बनाने वाले नागल को न सिर्फ 58,000 डॉलर मिलेंगे, बल्कि उन्हें इस मैच से जो अनुभव मिला वह आगे भी उनके काम आएगा।

नागल के इस मुकाम तक पहुंचने की कहानी काफी दिलचस्प है। झज्जर के छोटे से गांव जैतपुर के रहने वाले 22 साल के नागल ने बचपन में टेनिस खेलने की शुरुआत फेडरर का स्टाइल कॉपी करके की थी। उनके पिता सुरेश नागल को सेना के एजुकेशन कोर से हवलदार के तौर पर रिटायर हुए हैं। उनके पिता को खेलों को बहुत शौक था। यही वजह रही कि उन्होंने बेटे को टेनिस खिलाड़ी बनाने की ठानी। उस समय सुमित 8 साल के रहे होंगे। सुमित अपोलो टायर टैलेंट सर्च प्रतियोगिता के लिए चुने गए।

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हालांकि, सुमित की किस्मत ने तब करवट बदली जब उन्हें दिग्गज टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति से टेनिस की ट्रेनिंग मिलनी शुरू हुई। उन्होंने भूपित की एकेडमी में ट्रेनिंग ली। सुमित महेश भूपति को अपना मेंटोर मानते हैं। वे कहते हैं, ‘भूपति मेरे मेंटोर हैं और हमेशा रहेंगे। मैं करीब 10 साल का था, तब उनकी एकेडमी में पहली बार गया था। उन्होंने मेरे खेल को निखारा। उन्होंने ही मुझे स्पॉन्सर भी किया था।’