टोक्यो ओलंपिक में गुरुवार को भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर 4 दशक से चला आ रहा ओलंपिक मेडला का सूखा खत्म किया। भारतीय टीम ने 41 साल बाद कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। इस दौरान भारत का सफर काफी उतार चढ़ाव वाला रहा।

ओलंपिक खेल में हिस्सा लेने आए 16 भारतीय खिलाड़ियों में से 12 ने इस टूर्नामेंट में गोल मारे हैं। इससे साफ पता चलता है कि इस टीम में किटन जोश था और हर खिलाड़ी अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी जनता था। भारत ने अपने ओलंपिक सफर का आगाज न्यूजीलैंड के खिलाफ किया। इस मैच में भारत ने उपकप्तान हरमनप्रीत सिंह और ड्रैग फ्लिकर रुपिंदरपाल सिंह के शानदार प्रदर्शन की बदौलत न्यूजीलैंड को 3-2 से हराया।

इस मैच में रुपिंदरपाल ने एक और हरमनप्रीत सिंह ने दो गोल ठोके। इस जीत के साथ भारत ने पदक के लिए दावेदारी ठोकी। लेकिन अगले ही मैच में उन्हें बुरी हार का सामना करना पड़ा। भारत ने दूसरा मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला।

यह मैच भारत के लिए एक बुरे ख़्वाब की तरह था। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने एक के बाद एक 7 गोल ठोके और भारत के आत्मविश्वास को चकनाचूर कर दिया। भारत की तरफ से एकमात्र गोल दिलप्रीत सिंह ने किया। ओलंपिक के इतिहास में भारत की यह सबसे शर्मनाक हार थी।

लेकिन भारत ने अगले ही मैच में जोरदार वापसी की स्पेन को 3-0 से रौंद दिया है। इस मैच में एक बार फिर ड्रैग फ्लिकर रुपिंदरपाल सिंह ने दो गोल ठोके और एक गोल सिमरनजीत सिंह ने किया। इस जीत के साथ भारतीय टीम ने पूल-ए में दूसरे स्थान पर जगह बना ली।

भारत का अगला मुक़ाबला रियो की गोल्ड मेडलिस्ट अर्जेंटीना से हुआ। इस मैच में भारत ने अर्जेंटीना को 3-1 से शिकस्त दी। इस मैच में वरुण कुमार, विवेक सागर और हरमनप्रीत ने एक-एक गोल किए। अर्जेंटीना को हराने के बाद भरता एक बार फिर आत्मविश्वास से भर गया।

इसके बाद भारत मे क्वार्टरफाइनल मुकाबले में ब्रिटेन को 3-1 से हराकर अंतिम-4 में अपना स्थान पक्का कर लिया। इस मैच में गोलकीपर पी श्रीजेश ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और गुरजंत, दिलप्रीत सिंह और हार्दिक सिंह ने एक-एक गोल दागे।

वहीं सेमीफाइनल में भारत को बेल्जियम के हाथों हार का सामना करना पड़ा। बेल्जियम ने बेथरीन प्रदर्शन करते हुए भारत को अंतिम 11 मिनट में 3 गोल दाग कर 5-2 से हार दिया। भारत की तरफ से हरमनप्रीत सिंह और मनदीप सिंह ने गोल किए।