मैदान पर अगर चौके-छक्कों की बारिश न हो तो दर्शकों को मैच में मजा नहीं आता। विराट कोहली, क्रिस गेल, एबी डिविलियर्स, बेन स्टोक्स, केन विलियमसन जैसे खिलाड़ियों ने बल्लेबाजी को एक नए लेवल तक पहुंचा दिया है। टी20 और आईपीएल के आने के बाद तो फर्राटेदार क्रिकेट का दौर ही शुरू हो चुका है। कोई खिलाड़ी अगर स्लो खेले तो खूब आलोचना की जाती है। यहां तक कि उसे संन्यास तक लेने के लिए कह दिया जाता है। आज हम आपको बताएंगे एेसे भारतीय खिलाड़ियों के बारे में, जिनके नाम सबसे धीमा अर्धशतक लगाने का ‘अनचाहा’ रिकॉर्ड है।

मोहम्मद कैफ: इस बल्लेबाज ने यह पारी साल 2003 में साउथ अफ्रीका के सेंचुरियन में खेली थी। भारत का सुपर सिक्स स्टेज में मुकाबला न्यू जीलैंड से था। जहीर खान की धारधार गेंदबाजी की बदौलत किवी टीम 147 रन पर आउट हो गई। लेकिन लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत के 21 रन पर 3 विकेट गिर गए। इसके बाद मोहम्मद कैफ ने संभलकर बल्लेबाजी की और 98 गेंदों में अर्धशतक लगाया और टीम को 7 विकेट से जीत दिलाई।

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सौरव गांगुली: अॉफ साइड के बादशाह रह चुके दादा भी धीमी हाफ सेंचुरी जड़ने वाले खिलाड़ियों में शुमार हैं। 17 अप्रैल 2007 को उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ वर्ल्ड कप में 104 गेंदों में अर्धशतक ठोका था। भारत की पूरी टीम 191 रनों पर ढेर होकर 5 विकेट से मैच हार गई थी। इसके अलावा उन्होंने 2005 में दांबुला में भी 105 गेंदों पर अर्धशतक जड़ा था।

महेंद्र सिंह धोनी: पूर्व भारतीय कप्तान ने इसी साल जुलाई में वेस्टइंडीज के खिलाफ सबसे धीमा शतक लगाया था। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर कहे जाने वाले धोनी ने हाफ सेंचुरी जड़ने के लिए 108 गेंदें खेली थीं। वह 54 रन पर आउट हुए थे। तब भारत को जीत के लिए 11 बॉलों में 7 रनों की जरूरत थी, लेकिन जीत नहीं मिल सकी। इसके बाद धोनी की जमकर आलोचना हुई थी।

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सदगोपन रमेश: साल 1999 में केन्या के खिलाफ नैरोबी में रमेश ने 110 गेंदों में 50 रन जड़े थे। वहीं दूसरे छोर पर आर विजय भारद्वाज ने सिर्फ 30 गेंदों में 41 रन जड़ दिए। भारत ने केन्या के सामने 220 रनों का लक्ष्य रखा था, जिसके जवाब में वह 168 रनों पर ढेर हो गई थी।