चार बार के उपविजेता एसएसपी चौरसिया ने रविवार को यहां दिल्ली गोल्फ कोर्स में दो स्ट्रोक की जीत से हीरो इंडियन ओपन खिताब के लिए चले आ रहे मिथक को तोड़ दिया। इस सैंतीस वर्षीय गोल्फर ने अंतिम राउंड में एक अंडर 71 का कार्ड खेला और गत चैंपियन अर्निबान लाहिड़ी (69) और कोरिया के जेयूनघुन वांग (68) को पीछे छोड़ दिया। इस जीत ने उनका यूरोपीय टूर कार्ड भी सुरक्षित कर दिया।

कोलकाता इस प्रो गोल्फर ने कहा कि यह काफी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मेरे पास ‘पूर्ण’ कार्ड नहीं है। उम्मीद करता हूं कि मैं ओलंपिक और विश्व कप खेल रहा हूं और इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है। मैं खुश हूं। मैं थोड़ा नर्वस था लेकिन मैंने ध्यान लगाया और गहरी सांस लेकर खुद पर काबू किया। उन्होंने कहा कि मैंने काफी शाट बचाए। मैं चार बार यहां उप विजेता रह चुका हूं और इसे जीतने के बारे में सोच रहा था। यह हमेशा ही एक सपना रहा है। इसलिए मैं इसे हासिल कर खुश हूं। लाहिड़ी ने अंतिम राउंड में शानदार शुरुआत की और पहले तीन होल में बर्डी की हैट्रिक जमाई।

इस जीत के चौरसिया ने स्वीकार किया कि एक बार फिर हारने के डर से वे शनिवार रात काफी परेशान हो गए थे लेकिन अनुभवी पेशेवर जीव मिल्खा सिंह के साथ बातचीत से उन्हें एकाग्रता कायम रखने में मदद मिली और इंडियन ओपन गोल्फ का खिताब जीतने में सफल रहे। चार बार के उप विजेता चौरसिया 1999 में पहली बार उप विजेता रहे थे जब रायल कलकत्ता गोल्फ क्लब में उन्हें अर्जुन अटवाल ने हराया था। यहां तक कि पिछले साल भी उन्हें अंतिम दौर से पहले दो शाट की बढ़त हासिल थी लेकिन सात शाट पीछे चल रहे हमवतन अनिर्बान लाहिड़ी ने वापसी करते हुए टूर्नामेंट को प्ले आफ में खींचा और फिर जीत दर्ज की।

इंडियन ओपन का खिताब दो शाट से जीतने के बाद चौरसिया ने कहा कि रविवार को फाइनल से पहले मैं चिंतित था क्योंकि मैं चार बार हार चुका था और मैं सोच रहा था कि अनिर्बान शायद एक बार फिर वापसी करके जीत जाएगा। इसलिए मैंने सलाह के लिए जीव से बात की और उसने मुझसे कहा कि अगर मैं बोगी करूं या कोई और बर्डी करे तो भी आक्रामक होने की जरूरत नहीं है। मैंने उनकी सलाह मानी। अनिर्बान ने रविवार को शुरुआत में जब तीन बर्डी की तब भी मैंने अपने खेल पर ध्यान दिया। मैं इस जीत से काफी खुश हूं।