टेनिस में पैसा है और शोहरत भी। लिहाजा खिलाड़ी अपने करिअर को जितना लंबा हो सके, खींचने की कोशिश करते हैं। खेल जीवन के सफर में बाधा चाहे चोट से आए या किसी और वजह से, खिलाड़ी जल्द से जल्द वापसी को लालायित रहते हैं। वापसी जरूरी नहीं कि सुखद रहे। लेकिन पैसे की चकाचौंध से उनकी आर्थिक स्थिति जरूर मजबूत बनती है।

बीते कुछ समय में भारत की जिस तीन महिलाओं ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वापसी की है, उसके परिणाम सुखद रहे हैं। मणिपुर की मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम मां बनने के बाद अपने वजन वर्ग में विश्व चैंपियन बनीं। शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हंपी ने हाल ही में रैपिड शतरंज का विश्व खिताब जीता और अब टेनिस में महिला युगल और मिश्रित युगल में कई ग्रैंड स्लैम खिताब अपने नाम कर चुकीं सानिया मिर्जा ने आस्ट्रेलिया में होबार्ट टेनिस का महिला युगल खिताब जीतकर अपनी वापसी को यादगार बना लिया। सानिया तीसरी टेनिस खिलाड़ी हैं जो मां बनने के बाद कोर्ट पर उतरी हैं। अमेरिका की सेरेना विलियम्स और स्पेन की किम क्लिस्टर्स ने इससे पहले वापसी की थी। सानिया ने यूक्रेन की नादिया किचनोक के साथ मिलकर होबार्ट इंटरनेशनल टेनिस टूर्नामेंट का खिताब जीता।

इस जोड़ी ने महिला युगल फाइनल में चीन की पेंग शुएइ और झांग शुएइ की मजबूत जोड़ी को सीधे सेटों में हराया। एक घंटे 20 मिनट चले फाइनल को सानिया और उनकी जोड़ीदार ने 6-4, 6-4 से पक्ष में किया। सानिया अक्तूबर 2017 में चीन ओपन के बाद अपना पहला टूर्नामेंट खेल रही थीं। सानिया, जिन्होंने तीन ग्रैंड स्लैम महिला युगल खिताब जीते हैं, के करिअर की यह 42वीं खिताबी सफलता है। इस जीत को उन्होंने अपने बेटे को समर्पित किया।

निश्चय ही सानिया की यह वापसी दमदार है। जो खिलाड़ी वापसी करता है उसके लिए मेहनत के साथ सबसे अहम होती है फिटनेस। खिलाड़ी को मानसिक रूप से दृढ़ होना पड़ता है और समर्पण भाव दिखाना पड़ता है। ऐसे में खेल स्तर को पहले टूर्नामेंट में ही ऊंचाइयों पर ले जाना काबिल-ए-तारीफ है। भारतीय नजरिए से यह सफलता सानिया को फिर से उड़ान भरने को प्रेरित करेगी। साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियाई ओपन में वह रोहन बोपन्ना के साथ जोड़ी बनाकर उतरेंगी। बोपन्ना के साथ मिलकर वह एक ग्रैंड स्लैम सफलता पा चुकी हैं। यह ओलंपिक वर्ष है। अगर जोड़ी सफल रहती है तो तोक्यो ओलंपिक में पदक की आस लगाई जा सकती है।

वैसे तो यह अखिल भारतीय टेनिस महासंघ को तय करना है। लेकिन इतना जरूर है कि सानिया अब तक के सबसे सफल ग्रैंड स्लैम भारतीय खिलाड़ी लिएंडर पेस की तुलना में बोपन्ना को प्राथमिकता देंगी। पेस भी घोषणा कर चुके हैं कि 2020 उनके पेशेवर टेनिस का आखिरी वर्ष है। वह इस साल को यादगार बनाने की कोशिश करेंगे। ओलंपिक से पहले सानिया को 12 टूर्नामेंट खेलने हैं। वापसी खिताब के साथ हुई है। अब देखना है कि आगे उनके खेल की लय बनी रहती है या नहीं।