ओलंपिक में 36 साल बाद फिर से जगह बनाने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम पूल बी में जापान के खिलाफ होने वाले अपने मैच में जीत दर्ज करके अपने अभियान की सकारात्मक शुरुआत करने के लिए मैदान पर उतरेगी। महिला टीम ने पिछले साल जून में विश्व लीग सेमीफाइनल के क्लासिफिकेशन मैच में जापान को हराकर पांचवां स्थान हासिल किया था जिससे वह 1980 के मास्को ओलंपिक के बाद पहली बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में सफल रही। जापान की टीम अभी विश्व रैंकिंग में भारत से तीन पायदान ऊपर दसवें स्थान पर है लेकिन ऑस्ट्रेलियाई नील हागुड जैसे अनुभवी कोच की निगरानी में भारतीय टीम को अच्छी शुरुआत की उम्मीद है।

डिफेंडर दीप ग्रेस एक्का ने मैच की पूर्व संध्या पर कहा, ‘कोच ने हमसे पहले मैच में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए कहा है। इससे लीग चरण के बाकी मैचों के लिए लय बनेगी।’ दीप ने अब तक 106 मैच खेले हैं और वह कप्तान सुशील चानू के साथ भारतीय रक्षापंक्ति की मजबूत कड़ी है। चानू को ओलंपिक से ठीक पहले रितु रानी की जगह टीम की कमान सौंपी गई। रितु की अनुपस्थिति में इस साल के शुरू में ऑस्ट्रेलिया दौर में भारतीय टीम की कप्तानी करने वाली चानू की यहां कड़ी परीक्षा होगी। उनकी अगुवाई में भारतीय जूनियर टीम ने तीन साल पहले जर्मनी में जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक जीता था।

अग्रिम पंक्ति की जिम्मेदारी रानी रामपाल रहेगी जबकि गोलकीपर सविता पूनिया को भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। हागुड इससे पहले जुलाई 2012 से नवंबर 2014 तक भारतीय महिला टीम के कोच रहे थे। तब भारत ने एशियाई खेलों में कांस्य और एशियाई चैंपियनशिप 2012 में रजत पदक जीता था। हागुड अपने दूसरे कार्यकाल में उस सफलता को दोहराना चाहेंगे। पिछले साल नवंबर में दूसरी बार टीम से जुड़ने वाले हागुड ने कहा, ‘दूसरा कार्यकाल भी पहले जैसा ही है। टीम को अगले स्तर पर ले जाना महत्वपूर्ण है। हमारा लक्ष्य बहुत सरल है। पहले अंतिम आठ में जगह बनाना और उसके बाद तो यह दो मैच जीतने का सवाल हो जाता है।’

पूल बी में भारत सबसे कम रैंकिंग की टीम है। इस पूल बी में दूसरी रैकिंग का अर्जेंटीना और तीसरे रैंकिंग का ऑस्ट्रेलिया है जबकि इंग्लैंड और अमेरिका की टीमें भी मजबूत हैं। भारत 1980 के ओलंपिक में छह टीमों के बीच चौथे स्थान पर रहा था। रियो ओलंपिक से पहले भारतीय टीम ने केवल मास्को ओलंपिक के लिए ही क्वालीफाई किया था।