ओलंपिक की बैडमिंटन महिला एकल प्रतियोगिता के फाइनल में भारतीय खिलाड़ी पी वी सिंधू जीत नहीं दर्ज कर पाईं। स्पेनिश खिलाड़ी कैरोलिना मारिन के साथ सिंधू का यह मैच तीन सेट तक चला जिसमें अंत में जीत कैरोलिना को मिली। मैच की शुरुआत में सिंधू ने शानदार खेल दिखाते हुए पहला सेट अपने नाम किया लेकिन इसके बाद दूसरे और तीसरे सेट कैरोलिना मारिन ने जीतकर मैच और स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। मैच के दौरान कैरोलिना ने दबाव बनाए रखा। मैच के ज्यादातर समय में वो बढ़त बनाए हुए थी। हालांकि सिंधू ने उन्हें अच्छी चुनौती दी। कैरोलिना इस समय अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन महिला एकल का सबसे बड़ा नाम हैं। पिछले तीन सालों में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है। इस ओलंपिक में महिला एकल में चीन की कोई भी खिलाड़ी पदक नहीं जीत पाई है। ऐसे में महिला बैडमिंटन से चीन के दबदबे का भी अंत माना जा रहा है। सिंधू के हार के पीछे यह छह कारण माने जा रहे हैं।
सिंधू के हार के मुख्य छह कारण:
मारिन का उल्टे हाथ का खिलाड़ी होना- कैरोलिन मारिन उल्टे हाथ की खिलाड़ी होना उनकी जीत के पीछ एक बड़ा कारण रहा। दुनिया में उल्टे हाथ के बैडमिंटन खिलाड़ी काफी कम हैं। सिंधू को दांय हाथ के खिलाड़ियों से खेलने का अनुभव है ऐसे में भारतीय खिलाड़ी कैरोलिना के सामने अपनी पूरी ताकत से नहीं खेल पाईं।
मारिन का शानदार फार्म: मारिन इस समय अपने करियर के सबसे अच्छे दौर में हैं। मारिन पिछले दो बार विश्व चैम्पियनशिप जीत चुकी हैं। इस समय मारिन दुनिया का नंबर वन खिलाड़ी हैं आज मारिन अपने नाम के अनुरूप खेली। सिंधू ने काफी कोशिश की लेकिन उनके स्मैश का जवाब सिंधू के पास नहीं था।
सिंधू की लंबाई: अब तक के मैचों में सिंधू की लंबाई ने उनकी जीत में अहम भूमिका निभाई है लेकिन कैरोलिना के सामने सिंधू की लंबाई कमाल नहीं दिखा पाई। कैरोलिना ने सिंधू को नेट पर नहीं खेलने दिया और उन्हें जितना हो सकता स्ट्रेच कराया। ज्यादा लंबाई होने के कारण सिंधू तेजी से मुव नहीं कर पाई तेजी के इस खेल में मारिन भारी पड़ी।
कैरोलीन मारिन की रणनीति: मारिन तेज रफ्तार के साथ अनूठे एंगल पर शॉट लगाए । मारिन ने अपने एकाग्रता पूरे मैच के दौरान बनाए रखी कम से कम शॉट कोर्ट से बाहर पुश किए जबकि सिंधू के काफी शॉट कोर्ट से बाहर गए जिसका फायदा मारिन को मिला।
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सिंधू पर फाइनल का दबाव: सिंधू फाइनल के दौरान दबाव में दिखी। सिंधू जिस आक्रमक खेल के लिए जानी जाती हैं वो खेल फाइनल में नहीं दिखा। सिंधू को मारिन के मुकबाले अनुभव की कमी है। सिंधू अभी बड़े मुकाबलों के फाइनल में नहीं दर्ज नहीं कर पाईं है जबकि मारिन फाइनल जीतने में उस्ताद है। पिछले साल उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप और ऑल इंग्लैंड ओपन जीता था।
मारिन की सिंधू पर जीत मनोविज्ञानिक दबाव: स्पेन की मारिन जहां नंबर वन है वहीं सिंधू 10वें पायदान पर हैं। सिंधू और मारिन सात बार एक दूसरे के खिलाफ खेली हैं और इनमें से चार बार बाजी स्पेनिश खिलाड़ी ने मारी। मारिन ने सिंधू को 2014 में वर्ल्ड चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में भी हराया था। इसके चलते सिंधू को कांस्य से ही संतोष करना पड़ा था। हालांकि सिंधू तीन बार मारिन को हरा चुकी है। मारिन भारतीय उम्मीदों को तोड़ने में आगे रही हैं। उन्होंने सिंधू के साथ ही साइना नेहवाल को भी ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन ओपन और वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में हराया था।