भारत की पीवी सिंधू शुक्रवार को स्पेन की कैरोलीन मारिन से रियो ओलंपिक्स में बैडमिंटन के महिला एकल में गोल्ड मेडल के लिए भिड़ेंगी। दोनों खिलाड़ी पहली बार ओलंपिक के फाइनल में पहुंची है। सिंधू ने छठी वरीयता प्राप्त जापान की नाकोमी ओकुहारा को हराकर तो मारिन ने चीन की ली जुरक्सई को हराकर सोने के मेडल की लड़ाई तय की। दोनों के बीच रैंकिंग का बड़ा अंतर है। स्पेन की मारिन जहां नंबर वन है वहीं सिंधू 10वें पायदान पर हैं। दोनों में से जो भी जीतेगा वह पहली बार ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतेगा। सिंधू और मारिन के बीच मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद की जा रही है। आइए जानते हैं सिंधू के सामने कैसे बड़ी चुनौती है कैरालिना मारिन:
मारिन का रिकॉर्ड बेहतर: दोनों टीमों के बीच अब तक मैचों के आधार पर मारिन का पलड़ा भारी है। सिंधू और मारिन सात बार एक दूसरे के खिलाफ खेली हैं और इनमें से चार बार बाजी स्पेनिश खिलाड़ी ने मारी। मारिन ने सिंधू को 2014 में वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में भी हराया था। इसके चलते सिंधू को कांस्य से ही संतोष करना पड़ा था। हालांकि सिंधू तीन बार मारिन को हरा चुकी है। मारिन भारतीय उम्मीदों को तोड़ने में आगे रही हैं। उन्होंने सिंधू के साथ ही साइना नेहवाल को भी ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन ओपन और वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में हराया था।
लेडी नडाल की खतरनाक रणनीति: कैरोलीन मारिन को स्पेन में लेडी नडाल की तरह जाना जाता है। वह भी राफेल नडाल की तरह बाएं हाथ की खिलाड़ी है। इस वजह से उन्हें खेल पाना काफी मुश्किल हो जाता है। पिछले दो सालों में उन्होंने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए चीनी दीवार में सेंध लगाई। साइना नेहवाल और चीनी खिलाडि़यों के बाद वहीं इकलौती हैं जो नंबर वन बनी हैं। मारिन तेज रफ्तार और अनूठे एंगल के शॉट लगाती हैं। इससे उनके शॉट का जवाब देना मुश्किल हो जाता है। साथ ही वह हर शॉट लगाने के साथ ही चिखती हैं जिससे किे विपक्षी खिलाड़ी की एकाग्रता टूट जाती है।
सिंधू पर फाइनल का दबाव: यह पहली बार नहीं है जब पीवी सिंधू किसी बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची हैं। लेकिन समस्या यहीं शुरू होती है। सिंधू अब तक एक भी सुपर सीरिज नहीं जीत पाई हैं। वह कई बार फाइनल तक गई लेकिन वहां पर उन्हें मायूसी मिली। इसके उलट मारिन फाइनल जीतने में उस्ताद है। पिछले साल उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप और ऑल इंग्लैंड ओपन जीता था।
रैंकिंग: कैरोलिन मारिन महिला बैडमिंटन खिलाडि़यों में नंबर एक हैं। वहीं सिंधू 10वें पायदान पर है। इसका सबसे बड़ा कारण है सिंधू के प्रदर्शन में अनिरंतरता। दोनों खिलाड़ी जब पहले बार आमने-सामने थे तो सिंधू कामयाब रही थी। इसके बाद अगले मुकाबले में भी सिंधू विजयी रही। लेकिन इसके बाद अगले तीन टूर्नामेंट में मारिन ने सिंधू को हर बार हराया।
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चीनी खिलाडि़यों से अलग स्टाइल: कैरोलिन मारिन को एक और बात जो अलग और घातक बनाती है वह उनका खेलने का तरीका। मारिन के खेलने का तरीका चीनी और जापानी खिलाडि़यों से अलग है। मारिन खेल के दौरान अपनी रणनीति तेजी से बदलती है, वह चीनी खिलाडि़यों की तरह मैकेनिकल नहीं है। एशियाई खिलाड़ी लय बनने के बाद खतरनाक होते हैं जबकि मारिन वैरायटी पर विश्वास करती है।