पीवी सिंधू को रियो ओलंपिक्स के महिला बैडमिंटन के एकल में हार का सामना करना पड़ा और इसके चलते रजत पदक मिला। लेकिन उनकी यह कामयाबी काफी बड़ी है। वे पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने सिल्वर मेडल जीता है। पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी(महिला और पुरुष दोनों) हैं जिन्हें रजत पदक मिला हैं। ओलंपिक पदक जीतने वाली वे सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी हैं। फाइनल मैच में उन्हें स्पेन की कैरोलिना मारिन ने 19-21, 21-12, 21-15 हराया। रियो ओलंपिक में सिंधू का सिल्वर मेडल दूसरा पदक है। इससे पहले साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य जीता था। वहीं भारत के 92 साल के ओलंपिक इतिहास में पहली बार किसी महिला ने सिल्वर हासिल किया है। सिंधू की फाइनल में हार ने भले ही सोने का सपना तोड़ दिया हो लेकिन बावजूद इसके उन्होंने मैच के बाद कुछ ऐसा किया जो गोल्ड मेडल से कम नहीं।
मैच के बाद जहां कैरोलिना मारिन रो रही थी और कोर्ट पर लेटी हुई थी, वहीं सिंधू के चेहरे पर मुस्कान थी। इस दौरान सिंधू ने ओलंपिक खेल भावना दर्शाई। वे मारिन के पास उनके कोर्ट में गई और अपना हाथ देकर उन्हें उठाया। इसके बाद दोनों ने एक दूसरे के गले लगाया और बधाई दी। दोनों लंबे समय गले लगे रहीं। इसके बाद मारिन ने दर्शकों का अभिवादन स्वीकार किया तो सिंधू एक तरफ हो गई। उन्होंने मारिन का रैकेट उठाया और उसे कोर्ट के साइड कर दिया ताकि कोई उस पर पैर न रख दें। इसके बाद पोडियम पर भी सिंधू ने बड़ा दिल दिखाया। उन्होंने कांस्य पदक जीतने वाली जापान की नोजोमी ओकुहारा के लिए भी तालियां बजाईं तो मारिन के लिए भी। जबकि बाकी दोनों खिलाड़ी चुप खड़ी रहीं।
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इस मैच के दौरान सिंधू ने नंबर एक खिलाड़ी मारिन को एक-एक अंक के लिए पसीना बहाने को मजबूर कर दिया। पहले गेम में जब वह 15-17 से पिछड़ रहीं थी तो सिंधू ने 49 शॉट की रैली खेली और मारिन के हरेक हमले का जवाब दिया। इसी का नतीजा रहा कि मारिन को गलती करनी पड़ी और वे कोर्ट के बाहर शटल मार बैठीं। इसके बाद सिंधू ने लगातार पांच अंक बटोरे और पहला गेम अपने नाम कर लिया। आखिरी सेट में भी ऐसी ही एक लंबी रैली देखने को मिली जब सिंधू और मारिन के बीच 31 स्ट्रोक की रैली हुई। 30 शॉट के बाद मारिन ने लंबा शॉट मारा तो सिंधू ने इसे तुरंत वापस कर दिया लेकिन मारिन तब तक पहुंच ही नहीं पाई।
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