पीवी सिंधू ने रियो ओलंपिक में सिल्‍वर मैडल का जो सफर तय किया उस दौरान उनकी साल भर पहले की मेहनत बहुत काम आई। फिजियो और ट्रेनर सी किरण ने इस दौरान सिंधू पर खूब मेहनत की और उन्‍हें रियो के लिए तैयार किया। सिंधू के पैर में फ्रेंक्‍चर हो गया था इसके चलते उन्‍हें मैदान से बाहर होना पड़ा। इस पर किरण ने सिंधू को बैंच पर बिठाकर अभ्‍यास कराना शुरू किया। इसमें सिंधू एक पैर और शरीर के ऊपरी हिस्‍से के सहारे प्रेक्टिस करती रहती। सिंधू की जीजीविषा के बारे में किरण कहती हैं, ”ऐसा नहीं था कि वह दो-तीन सप्‍ताह के लिए घर पर बैठी। गोपी और मैं जानती थी कि हम समय बर्बाद नहीं कर सकते। दूसरा पैर सही था और शरीर का ऊपरी हिस्‍सा भी तो हमने उसे अपनी स्किल्‍स सुधारने के लिए ऐसा तरीका ईजाद किया जिससे चोटिल पैर को नुकसान ना हो।”

ढाई-तीन महीने तक सिंधू ने ऐसे ही प्रेक्टिस की। दूसरा पैर ठीक होने के बाद जब वह कोर्ट पर लौटी तो सिंधू को परेशानी नहीं हुई हालांकि अभ्‍यास नए सिरे से शुरू करना था। किरण ने कहा, ”हमने प्‍लास्‍टर निकाल दिया और हमने ऐसे शुरू किया मानो कुछ हुआ ही ना हो।” किरण बताते हैं कि सिंधू काफी सहयोगी खिलाड़ी हैं। जिस दिन उसने पदक जीता उस दिन उसने तीन सेट का मैच खेला और सैंकड़ों सवालों के जवाब खड़े-खड़े दिए। उसके ट्रेनिंग सेशन सात घंटे तक चलते थे और इस दौरान वह केवल दो बार स्‍नैक्‍स खाने को रूकती थी। सिंधू की ट्रेनिंग को याद करते हुए किरण कहते हैं, ”सुबह चार से सात बजे। इसके बाद सवा सात से साढ़े नौ। फिर पौने 10 से साढ़े 11 बजे तक।” उसके लिए यह दिनचर्या थी।

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किरण हालांकि कहते हैं कि सबसे मुश्किल काम सिंधू से उसका फोन दूर रखना था। ऐसा उसके साथ ही नहीं बल्कि अन्‍य युवा खिलाडियों के साथ हुआ। किरण के अनुसार सिंधू को लेकर काफी मेहनत की गई। उसकी हाइट के अनुसार बदलाव किया गया। स्‍मैश, ड्रॉप शॉट और नेट इनको लेकर अलग-अलग प्रेक्टिस हुई। उनका मानना है कि अभी भी काम पूरा नहीं हुआ है। अभी भी वह 20 प्रतिशत सुधार कर सकती हैं। वहीं फिजियो के हिसाब से स्‍पीड, स्‍ट्रैंथ और एन्‍डुरंस में और ऊपर जा सकती है।

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