ईरान की महिला तीरंदाज जेहरा नेमाती ने मंगलवार को व्हीलचेयर पर अपना ओलंपिक पर्दापण किया। हालांकि जेहरा रशियन खिलाड़ी के साथ मैच हार गई लेकिन इसके बावजूद वो सबके लिए एक प्रेरणा बन गई। जेहरा मूल रूप से ताइक्वांडो की खिलाड़ी थी लेकिन एक दशक पहले हुए एक कार दुर्घटना ने उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। इसके बाद जेहरा ने तीरंदाजी खेल में दिलचस्पी लेनी शुरू की। 2012 में लंदन में हुए पैरालिंपिक्स में 31 साल की जेहरा ने तीरंदाजी में स्वर्ण पदक जीता था। जेहरी ने शुक्रवार को हुए ओलंपिक उद्घाटन समारोह में ईरान देश का झंडा लेकर मार्चपास्ट किया था। मार्चपास्ट में ईरान का झंडा उठाने वाली वो पहली ईरानी महिला खिलाड़ी हैं। महिला तीरंदाजी टीम स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली रशियन टीम की खिलाड़ी एना स्टेपनोवा के खिलाफ नेमाती ने पहले प्रयास में परफेक्ट 10 स्कोर किया। लेकिन आगे के खेल में नेमाती अपना यह प्रदर्शन जारी नहीं रख पाईं।
ऐना के हाथों 6-2 का स्कोर से हारकर नेमाती बाहर हो गईं। पहले ही राउंड में बाहर होने पर नेमाती अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाईं और रोने लगी। मैच खत्म होने पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया लेकिन मेरी प्रतिद्वंद्वी मुझसे बेहतर थी और इसी कारण वो जीती हैं। शायर मैं अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाईं और उसका असर मेरे खेल पर दिखा।” नेमाती के प्रदर्शन के बाद मौजूद दर्शकों ने उनका खूब समर्थन किया। नेमाती अब 7 सितंबर से शुरू हो रहे पैर पैरालिंपिक्स में अपने खिताब की रक्षा करने खेलेंगी। ओंपिक में अपने अनुभव के बारे में उन्होंने कहा, “मैं ओलंपिक में हिस्सा लेकर बेहद उत्साहित हूं उम्मीद करती हूं और विकलांग खिलाड़ी भी इससे प्रेरणा लेकर ओलंपिक का हिस्सा बनेंगे। विकलांगता को खुद से जीतने मत दो खेलों का मतलब ही मुश्किलों का सामना करना हैं।”