ओलंपिक के लिए गई भारतीय हॉकी टीमों को खेल गांव में कुर्सियों और टीवी सेट की कमियों का सामना करना पड़ा रहा है और मुख्य कोच रोलेंट ओल्टमैंस ने शिकायत की है कि खिलाड़ियों के कमरे पूरी तरह तैयार नहीं हैं। भारतीय दल के दल प्रमुख राकेश गुप्ता को लिखे पत्र में ओल्टमैंस ने पुरुष और महिला दोनों हॉकी टीमों को मुहैया कराए गए कमरों के बारे में शिकायत की कि ये पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। भारतीय हॉकी के हाई परफॉरमेंस निदेशक ओल्टमैंस ने अपने पत्र में लिखा, ‘रियो ओलंपिक के कमरे उचित रूप से तैयार नहीं हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ओलंपिक में लंबे समय तक शीर्ष स्तर का प्रदर्शन करने के लिए एथलीटों को अपने कमरों में छह व्यक्तियों के लिए ठीक तरह की कुर्सियां और मेज चाहिए होती हैं। पर प्रत्येक कमरे में केवल दो ही कुर्सियां ही हैं।’
ओल्टमैंस ने कहा, ‘पुरुष और महिलायें, जो नौ कमरों का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके पास 28 उचित कुर्सियों की कमी है और सात कमरों में तो हमें कम से कम एक मेज की भी जरूरत है। स्टाफ सदस्यों के कमरों में हम कुछ मेज मंगवाने में सफल रहे हैं।’ ओल्टमैंस ने लिखा, ‘ओलंपिक के दौरान हम अपने खिलाड़ियों को टीवी पर हमारे टूर्नामेंट का लाइव प्रसारण दिखाना चाहेंगे। इससे खिलाड़ियों को इन प्रतिद्वंद्वी टीमों के खिलाफ आगामी मैचों के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी।’ एक अन्य पत्र में ओल्टमैंस ने दल प्रमुख से हॉकी टीमों के लिए टीवी सेट खरीदने की अनुमति मांगी है। उन्होंने कहा, ‘अपने कमरे का टीवी हमारी टीम को मुहैया कराने के लिए शुक्रिया। मैंने कुछ और टीवी सेट किराए पर लेने की कोशिश की लेकिन दुर्भाग्य से खेल गांव में ये सारे बिक चुके हैं।’
ओल्टमैंस ने लिखा, ‘मैं तीन टीवी सेट खरीदने की अनुमति लेना चाहूंगा ताकि स्टाफ सदस्यों के दोनों कमरों में टीवी लग सके। कम से कम पुरुष और महिला टीमों के स्टाफ सदस्यों के कमरों में, ताकि वे हॉकी स्पर्धा देख सकें।’ उन्होंने लिखा, ‘मैंने कुछ कुर्सियां भी किराए पर लेने की कोशिश की लेकिन खेल गांव में अभी कुर्सियां उपलब्ध नहीं हैं। हमें सभी खिलाड़ियों के लिए सही फर्नीचर की जरूरत होगी। ‘बीन कुर्सियों’ पर ज्यादा समय बिताने से खिलाड़ियों की पीठ चोटिल हो सकती है। कृपया हमें हल ढूंढने में मदद कीजिए।’ रियो खेलों के आयोजकों को पहले ही ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य टीमों से ओलंपिक गांव में सही तरह से कमरे तैयार नहीं करने की शिकायतों का सामना करना पड़ रहा है।