पिछले साल सीरियाई शरणार्थी युसरा मार्दिनी जब यूरोप जा रही थी तो उनकी नाव रास्ते में ही टूट गई और उन्हें जान बचाने के लिए तैरना पड़ा। अब वे इस महीने रियो ओलंपिक्स में स्विमिंग में हिस्सा लेंगी। यूसरा ओलंपिक में पहली रिफ्यूजी टीम की सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि जब वह अपनी बहन के साथ मेडिटेरियन सागर से होते हुए ग्रीस जा रही थी तो उनकी ओवरलोडेड नौका पानी में डुबने लगी। अन्य शरणार्थियों के साथ वह और उसकी बहन पानी में कूद गए और तीन घंटे तक नाव चलाते रहे। उन्होंने 19 लोगों की जान बचाई। इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन की ओर से पब्लिश किए गए वीडियो इंटरव्यू में मार्दिनी ने कहा, ” जब मैं पानी में थी तो डर लग रहा था। आप को पता नहीं होता कि बच पाएंगे या नहीं।”
रियो में मार्दिनी 100 मीटर फ्री स्टाइल प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगी। वे ब्राजील में 10 अन्य एथलीट के साथ ओलंपिक फ्लैग के तहत ओपनिंग सेरेमनी में शामिल होंगी। मार्दिनी ने बताया, ”जब मैं अपनी जिंदगी के लिए तैर रही थी तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि जहां मैं आज हूं वहां पहुंच जाऊंगी।” दोनों बहनें अभी जर्मनी में रहती हैं। साल भर पहले उन्होंने दमिश्क में अपना घर छोड़ा था। इसके बाद वे तुर्की गए वहां से 20 अन्य लोगों के साथ डिंगी में सवार हुए। युसरा की बहन सारा ने बताया, ”नाव पर जाने से पहले लोग आपको कहते हैं कि आप मरने जा रहे हैं। इसलिए नाव पर चढ़ने से पहले आप मरने के बारे में सोचते हैं। इसके अलावा जेहन में और कूछ नहीं आता।”
सारा भी स्विमर है। उसने अपनी बहन को बताया कि यदि उनकी नाव डूब जाती है तो उन्हें खुद को बचाना होगा क्योंकि औरों की मदद करना असंभव होगा। लेकिन बाद में जब इंजन रूक गया और नाव डूबने लगी तो उसे पता चला कि वह औरों को डूबने नहीं दे सकती। उसने बताया, ”नाव से बोझ कम करने की जरूरत थी और हम दोनों के अलावा किसी को तैरना नहीं आता था। जब मैं पहली बार पानी में उतरी तो मेरा पूरा शरीर कांप रहा था। उस समय मुझे महसूस हुआ कि जिंदगी मुझ से काफी बड़ी है। नाव में सवार सभी लोग मेरा हिस्सा थे। मैंने सोचा पानी में कूदना मेरा काम है। अगर मैं उन्हें उनके हाल पर छोड़ देती तो जिंदगी भर मुझे इस बात का गम होता।”
सारा ने आगे बताया कि दो घंटे बाद वह थक गई और डूबने का जोखिम उस पर मंडराने लगा। उसने कहा, ” अंधेरा हो रहा था और ठंडी हवा चल रही थी जो जमा देने वाली थी। मैं अपनी आंखें खुली नहीं रख पा रही थी। उन्होंने समंदर का खारा पानी घुस चुका था।” रात के समय वे ग्रीस के द्वीप पर पहुंचे। उसकी बहन युसरा ने कहा कि उसे उम्मीद है कि उसकी कहानी से दूसरे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। उसने कहा, ”अब हम कड़ी मेहनत कर रही हैं। मैं अपने माता-पिता को गर्व कराना चाहती हूं। मुझे उम्मीद है कि वे शरणार्थियों के लिए सीमाएं खोल देंगे। मैं आशा करती हूं कि ओलंपिक में पदक जीतूंगी और मेरे शहर में फिर से शांति होगी।”

