रियो। भारतीय जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने कहा है कि वह रियो ओलंपिक में वॉल्ट फाइनल में कांस्य पदक से चूकने से निराश नहीं हैं। दीपा ने आत्मविश्वास के साथ कहा, “मैंने इस ओलंपिक से कभी पदक की उम्मीद नहीं की थी लेकिन चौथे स्थान पर आना शानदार है। मुक्केबाजी, कुश्ती में चौथे स्थान पर आने से ही आपको कांस्य पदक मिल जाता है लेकिन मुझे नहीं मिलेगा। मैं पदक के काफी करीब पहुंच गयी थी। चार साल बाद मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक होगा।”

दीपा करमाकर ने कहा, “यह मेरा पहला ओलंपिक था, लेकिन मुझे निराश होने की जरूरत नहीं है। मैं टोक्यो 2020 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगी।” दीपा ने कहा, “मैं अपने प्रदर्शन से पूरी तरह संतुष्ट हूं। यह मेरा सर्वोच्च स्कोर है लेकिन पदक विजेताओं का प्रदर्शन मुझसे अच्छा था। यह मेरा दिन नहीं था। भाग्य मेरे साथ नहीं था जो मैं कुछ अंकों से पदक से चूक गयी। लेकिन कोई दिक्कत नहीं। मैंने अपने पहले ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहने के बारे में कभी नहीं सोचा था।”

दीपा को ‘प्रोडुनोवा’ वॉल्ट के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यदि इसमें वह नीचे अच्छी तरह से उतरती तो उनके पदक जीतने की संभावना बढ़ जाती। दीपा पहले पांवों पर खड़ी हुई लेकिन इसके बाद संतुलन खो बैठी और उसने कुछ अंक गंवा दिये। उन्होंने प्रोडुनोवा में 15.266 अंक बनाए। दीपा ने कहा कि अपने निजी कोच बिश्वेश्वर नंदी की देखरेख में विदेशों में खास अनुभव हासिल नहीं करने के बावजूद यह बड़ी उपलब्धि है।  इस चार फीट 11 इंच लंबी जिम्नास्ट ने कहा, “जिम्नास्टिक आसान नहीं होता है। हमारे पास विदेशी कोच नहीं है। मैं अपने कोच और साई के प्रयासों से यह हासिल कर पायी। हमने विदेशों में अभ्यास नहीं किया। हमें तैयारियों के लिये केवल तीन महीने का समय मिला। पूर्व ओलंपिक चैंपियन के साथ मुकाबला करना और चौथे स्थान पर रहना अच्छा प्रदर्शन है।”

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