अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ के महासचिव कुशाल दास ने आज स्पष्ट किया कि देश की लीग प्रणाली को पुनर्गठित करने की जरूरत थी ताकि क्लब व्यवसायिक रूप से और अधिक व्यवहारिक बन सकें। दास ने कहा कि देश में फुटबाल के खेल को आगे ले जाने के लिये इस तरह आमूल चूल बदलाव की जरूरत थी। सलगांवकर और स्पोर्टिंग क्लब डि गोवा ने पिछले हफ्ते एआईएफएफ के इंडियन सुपर लीग को शीर्ष लीग बनाने के फैसले के खिलाफ आई लीग से हटने का फैसला किया।

एआईएफएफ ने मौजूदा शीर्ष और दूसरे डिवीजन की टीमों के लिये क्रमश: लीग एक और लीग दो का प्रस्ताव दिया था। दास ने कहा कि ज्यादातर प्रस्ताव महासंघ ने 17 मई को दिये थे। क्लबों और अन्य शेयरधारकों से चर्चा के बाद ही इन्हें लागू किया जायेगा क्योंकि आई लीग के आर्थिक रूप से असफल होने के कारण घरेलू लीग के पुनर्गठन की जरूरत थी।

उन्होंने हालांकि कहा कि ये प्रस्ताव अंतिम नहीं थे और क्लबों तथा अन्य शेयरधारकों के सुझावों के बाद इसमें बदलाव किये जा सकते हैं। दास ने पीटीआई से कहा, ‘‘आई लीग में कुछ नहीं हो रहा था। बाजार को ये स्वीकार्य नहीं थी, इसका कारण कुछ भी हो सकता है।

इसलिये हमें वित्तीय और व्यवसायिक रूप से इसका स्थायी रूप ढूंढना होगा। हमें लगता है कि अगर देश में फुटबाल को आगे बढ़ाना है तो इस तरह के नये प्रस्ताव आगे बढ़ने के लिये जरूरी हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि सभी क्लबों के सहयोग से नया ढांचा भारतीय क्लब फुटबाल के लिये सचमुच ‘गेम चेंजर’ हो सकता है। ’’