पीवी सिंधू ने रियो ओल‍ंपिक्‍स में इतिहास रच दिया। भारतीय ओलंपिक इतिहास में वह सबसे बड़ा पदक जीतने वाली खिलाड़ी बनने जा रही है। वे पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं जो ओलंपिक के फाइनल में पहुंचीं। उन्‍होंने लगातार दो मुकाबलों में अपने से ऊंची रैंक की खिलाडि़यों को मात दी। पहले उन्‍होंने चीन की स्‍टार प्‍लेयर वान यिहांग को लगातार सेटों में हराकर बाहर किया। इसके बाद जापान की नोजोमी ओकुहारा को इकतरफा मुकाबले में हराया। इन दोनों खिलाडि़यों के खिलाफ सिंधू का रिकॉर्ड खराब रहा था लेकिन खेलों के सबसे बड़े मंच पर सिंधू भारी पड़ीं। दिग्‍गज बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद ने उन्‍हें इस खेल के गुर सिखाए। सिंधू ने उन्‍हें देखकर ही वॉलीबॉल की जगह सात साल की उम्र में ही रैकेट थाम लिया। कोच गोपी उन्‍हें बेहद प्रतिभाशाली मानते हैं। हालांकि सुपर सीरिज में सिंधू लड़खड़ा जाती हैं लेकिन कोच का मानना है कि इससे उन्‍हें अनुभव मिलेगा।

गोपीचंद से ट्रेनिंग लेने को सिंधू 56 किलोमीटर का सफर तय करती थी। उन्‍हें जानने वालों का कहना है कि सिंधू कभी अभ्‍यास के लिए लेट नहीं हुई। पुलेला गोपीचंद काफी सख्‍त ट्रेनिंग के लिए जाने जाते हैं। वे अपने शिष्‍यों के खेल के साथ ही उनकी फिटनेस पर भी बराबर नजर रखते हैं। इसी के चलते उन्‍होंने सिंधू के चोकलेट और हैदराबादी बिरयानी खाने पर रोक लगा दी। यहां तक किसी तरह के इंफेक्‍शन या डोप से बचने के लिए उन्‍होंने दोनों को बाहर का पानी पीने से भी मना किया था। गोपी ने प्रसाद के रूप में मिलने वाली मिठाइयों पर भी यही नियम लागू किया। ओलंपिक खेलों के दौरान सिंधू को गोपीचंद के साथ खाना खाने के निेर्देश दिए गए थे। सिंधू और श्रीकांत के लिए गोपी ने अपनी नींद में कटौती भी कर ली थी। वे रात को 2 बजे ही उठ जाया करते थे।

पीवी सिंधू: 56 किलोमीटर जाकर प्रैैक्टिस करती थी, कोच गोपी ने चॉकलेट, बिरयानी और प्रसाद पर लगा दी थी रोक

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पीवी सिंधू ओलंपिक में पहली बार पहुंची है और पहले ही प्रयास में उन्‍होंने पदक तय कर लिया। बैडमिंटन में चीन की धाक है लेकिन सिंधू अपने से ऊंची वरीयता वाली खिलाडि़यों को आसानी से धूल चटा देती है। वे वान यिहांग, ली जुरुक्‍सई और शिजियान वांग जैसी दिग्‍गज चीनी खिलाडि़यों को कई बार मात दे चुकी है। सिंधू ने 18 साल की उम्र में अर्जुन अवार्ड जीत लिया था। साथ ही वह सबसे कम उम्र में पद्मश्री से नवाजी जाने वाली शख्सियत भी हैं। रियो में पदक के साथ ही उन्‍हें खेल रत्‍न मिलने की संभावना भी बढ़ गई है। सिंधू की सफलता के लिए उनकी मां कोच गोपीचंद को श्रेय देती हैं। उन्‍होंने बताया कि वह और गोपी लगातार कड़ी मेहनत कर रहे थे। हम उनके लिए रोज मंदिर जाते थे।